गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने असम में सब्जियों की कीमतों बढ़ने के लिए ”मियां मुसलमान” व्यापारियों को जिम्मेदार ठहराया है। हिमंता बिस्वा सरमा के इस बयान पर अब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है।
ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘देश में एक ऐसी मंडली है जिसके घर अगर भैंस दूध ना दे या मुर्गी अंडा ना दे तो उसका इल्जाम भी मिया जी पर ही लगा देंगे। शायद अपने निजी नाकामियों का ठीकरा भी मिया भाई के सर ही फोड़ते होंगे। आज कल मोदी जी की विदेशी मुसलमानों से गहरी यारी चल रही है, उन्हीं से कुछ टमाटर, पालक, आलू वगैरह मांग कर काम चला लीजिए।’
हिमंत ने क्या कहा था?
हिमंत सरमा ने गुरुवार शाम को कहा था, ‘वे (पूर्वी बंगाल मूल के मुसलमान) असमिया लोगों से ऊंची कीमतें ले रहे हैं। गुवाहाटी में मिया लोगों ने स्थानीय सब्जी बाजारों पर नियंत्रण कर लिया है।’ उन्होंने कहा कि अगर कोई असमिया युवक सब्जियां बेच रहा होता, तो वह अन्य असमिया साथी नागरिकों से बढ़ी हुई कीमतें नहीं ले सकता। सरमा ने कहा, ‘मैं असमिया युवाओं से आगे आने का आग्रह करता हूं। मैं आपको आश्वासन देता हूं कि मैं सभी मिया मुस्लिम सब्जी विक्रेताओं को शहर से बाहर निकाल दूंगा।’ उन्होंने आगे कहा कि असम में कैब से लेकर बस सेवाओं तक अधिकांश लोग अब मुस्लिम समुदाय के इसी वर्ग (मिया) के हैं।
मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि असमिया समुदाय मुस्लिम लोगों के बिना अधूरा है। अजमल ने कहा, ‘मिया मुस्लिम और असमिया लोग भाइयों की तरह हैं। राज्य मुस्लिम समुदाय के बिना अस्तित्व में नहीं रह सकता।’ असम में पिछले कुछ दिनों से राज्य भर में सब्जियों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे आम जनता परेशान है। कई लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं।
कौन हैं मिया मुसलमान?
मिया मुसलमान प्रवासी बंगाली मुसलमानों के वंशज हैं जो 20वीं सदी में असम के ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान ब्रह्मपुत्र घाटी में रहते थे। ये प्रवासी वर्तमान बांग्लादेश के मैमनसिंह, रंगपुर और राजशाही डिवीजनों से आए थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमने हाल ही में ईद पर देखा है, गुवाहाटी में अधिकांश सड़कें खाली थीं क्योंकि वे त्योहार मना रहे थे।’
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