नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय मिश्रा का डायरेक्टर के तौर पर कार्यकाल बढ़ाने के मामले में केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के डायरेक्टर के तौर पर कार्यकाल को घटा दिया है। अब संजय मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई तक रहेगा। प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इनमें उनके सेवा विस्तार को अवैध ठहराया गया था।
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के निदेशक संजय मिश्रा को सरकार की तरफ से मिले एक्सटेंशन को सुप्रीम कोर्ट ने गलत करार दिया है। शीर्ष अदालत का कहना है कि 2021 में एनजीओ कॉमन कॉज के मामले में जो फैसला उसने दिया था उसकी इस मामले में सरासर अवहेलना हुई है। कोर्ट ने कहा कि संजय मिश्रा केवल 31 जुलाई तक ही बतौर ईडी डायरेक्टर अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
संजय कुमार मिश्रा को नवंबर 2018 में प्रवर्तन निदेशालय के पूर्णकालिक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। संजय मिश्रा 1984-बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) आयकर कैडर के अधिकारी हैं। उन्हें पहले जांच एजेंसी में प्रमुख विशेष निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। ईडी में नियुक्ति से पहले संजय मिश्रा दिल्ली में आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त के रूप में कार्यरत थे। केंद्र सरकार ने सबसे पहले 2020 में उनको एक साल का सेवा विस्तार दिया था। तब उन्हें 18 नवंबर, 2021 तक एक साल के लिए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। फिर 2021 में कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले ही उन्हें दोबारा सेवा विस्तार दिया गया। ये दूसरी बार था। वहीं, 17 नवंबर 2022 को संजय कुमार मिश्रा का दूसरा सेवा विस्तार खत्म होने से पहले ही कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक वर्ष (18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक) के लिए तीसरे सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी थी।
कांग्रेस और टीएमसी नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें ईडी निदेशक को दिए गए एक्सेंशन पर विरोध जताया गया था। याचिका में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन एक्ट और दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेबिलशमेंट एक्ट में हुए बदलाव को भी चुनौती दी गई थी। ये याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर, रणदीप सुरजेवाला, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, साकेत गोखले की तरफ से दायर की गई थी। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई पर अपना फैसला रिजर्व रख लिया था।
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