इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की आवाज दबाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। अहमदिया मुस्लिमों के साथ-साथ हिंदू और सिख समुदाय को भी लगातार परेशान किया जाता है। इस बीच पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग के एक आदेश ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। आदेश में देशभर के शिक्षण संस्थानों में होली के जश्न को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
उच्च शिक्षा आयोग ने कहा कि सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों का पालन करने के लिए छात्रों को इस त्योहार का पालन करने से मना किया जाता है। नोटिस में कहा गया है कि इस तरह की गतिविधियां देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों से पूरी तरह अलग हैं और देश की इस्लामी पहचान को नुकसान पहुंचाती हैं। नोटिस में कहा गया है कि कॉलेज के कैंपस में इस्लामिक मूल्यों के खत्म होने से जुड़ी कई तरह की गतिविधियां आयोजित हो रही हैं। यह काफी दुखद है और इसी तरह का एक उदाहरण हिंदू त्योहार होली है। आदेश में कहा गया कि पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों में होली को बड़े स्तर पर मनाया जाता है और इससे देश की इमेज पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए कमीशन ने इस पर बैन का ऐलान किया है।
नोटिस में कहा गया कि हालांकि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सांस्कृतिक, जातीय और धार्मिक विविधता एक समावेशी और सहिष्णु समाज की ओर ले जाती है, जो सभी धर्मों और पंथों का सम्मान करता है,लेकिन इसे हद से आगे बढ़ने से रोकना होगा। आदेश में कहा गया है कि 12 जून को विश्वविद्यालय में जो हुआ, उससे देश की छवि को नुकसान पहुंचा है।
क्यों बढ़ा विवाद?
दरअसल 12 जून को इस्लामाबाद स्थित कायदे-ए-आजम विश्वविद्यालय में होली का कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम का आयोजन मेहरान स्टूडेंट काउंसिल की तरफ से किया गया था। मेहरान स्टूडेंट काउंसिल यूनिवर्सिटी का गैर-राजनीतिक सांस्कृतिक संगठन है। इस आयोजन के बाद से ही सारा बवाल शुरू हुआ और फिर कई संगठनों ने इसपर बैन की मांग की।
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