दिल्ली। बिना किसी पहचान पत्र के 2000 के नोट को बदलने के रिजर्व बैंक के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक के बिना डॉक्यूमेंट के नोट बदलने के आदेश के खिलाफ भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट में पीआईएल दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। आरबीआई की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पराग पी त्रिपाठी ने याचिका का विरोध ने कहा, ‘यह नोटबंदी नहीं है..यह एक वैधानिक कवायद है। मेरे विद्वान मित्र [उपाध्याय] द्वारा उठाया गया कोई भी बिंदु किसी भी तरह से सार्वजनिक मुद्दों पर लागू नहीं होता है। त्रिपाठी ने आगे सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का उल्लेख किया जिसमें यह कहा गया है कि अदालतों को आर्थिक नीति से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए राजी नहीं किया जाएगा।
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में अदालत से मांग की थी कि आरबीआई और एसबीआई को 2000 के नोट बदलने के लिए आईडी प्रूफ की आवश्यकता अनिवार्य किए जाने का कोर्ट आदेश दे और बैंक खाते में नोट जमा करने का भी आदेश दिया जाए। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि इस संबंध में आरबीआई और एसबीआई की अधिसूचनाएं मनमानी, तर्कहीन होने के साथ ही संविधान के अच्छेद 14 का उल्लंघन करती है। बड़े नोट में नकद लेनदेन भ्रष्टाचार का मुख्य कारण होता है और इसका उपयोग आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, कट्टरपंथ, जुआ, तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, अपहरण, जबरन वसूली, रिश्वत और दहेज आदि जैसी अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है।
2016 में मार्केट में आया था 2000 का नोट
2 हजार का नोट नवंबर 2016 में मार्केट में आया था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए थे। इसकी जगह नए पैटर्न में 500 का नया नोट और 2000 का नोट जारी किया गया था। जब पर्याप्त मात्रा में दूसरे डिनॉमिनेशन के नोट उपलब्ध हो गए तो 2018-19 में 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी।
Discussion about this post