दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच तनातनी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर चुके सीएम केजरीवाल अब नीति आयोग की मीटिंग का भी बहिष्कार करेंगे। इसके लिए केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है।
अरविंद केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि जब पीएम ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानते, तो न्याय के लिए लोगों को कहां जाना होगा। पीएम गैर बीजेपी सरकारों को काम करने दें। अभी तो सहकारी संघवाद को एक मजाक बना दिया गया है, उस स्थिति में नीति आयोग की मीटिंग जाने का कोई मतलब नहीं। चिट्ठी में सीएम ने अधिकारों की लड़ाई को लेकर चल रहे विवाद पर भी विस्तार से बात की।
सीएम ने कहा कि इस समय दिल्ली में अगर कोई अधिकारी काम ना करें तो क्या उसे हटा भी नहीं सकते। इस तरह से काम कैसे किया जाएगा। आप दिल्ली सरकार को पंगु क्यों बनाना चाहते हैं, क्या भारत के लिए आपका यहीं विजन है? सीएम ने अपनी चिट्ठी में कई बार इस बात का जिक्र किया है कि मोदी सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही।
इससे पहले तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 मई को नई दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया। ममता बनर्जी सरकार का यह फैसला आम आदमी पार्टी (AAP) के दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के एक दिन बाद आया। नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लेने के ममता बनर्जी के फैसले के पीछे वजह अभी तक पता नहीं चली है। हालांकि राजनीति गलियारे में ममता के हालिया कदम को लोकसभा चुनाव 2024 से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
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