नई दिल्ली। अपने स्थापना दिवस के दिन बीजेपी ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इसकी अटकलें पहले से लगाई जा रही थीं। तीन महीने पहले ही अनिल एंटनी ने कांग्रेस के सभी पदों से अपना इस्तीफा दिया था। गुजरात दंगों को लेकर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर उठे विवाद के बीच अनिल एंटनी ने कांग्रेस छोड़ी थी।
दिल्ली में अनिल एंटनी ने बीजेपी के दफ्तर जाकर पार्टी की औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण की। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अनिल एंटनी को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन भी मौजूद रहे। इस दौरान अनिल एंटनी ने कहा कि एक भारतीय युवा होने के नाते मुझे ऐसा लगता है कि यह मेरी जिम्मेदारी और कर्तव्य है कि मैं प्रधानमंत्री के राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता के दृष्टिकोण में अपना योगदान दूं।
कौन हैं अनिल एंटनी
अनिल कांग्रेस दिग्गज एके एंटनी के बेटे हैं। उनके पिता कांग्रेस सरकार में रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। इतना ही नहीं 2014 चुनाव में हार के बाद मंथन की जिम्मेदारी इन्हें ही मिली थी और इनकी तैयार की गई रिपोर्ट को एके एंटनी रिपोर्ट कहा गया था। बीते साल कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के दौरान एके एंटनी का नाम पर भी चर्चाओं की खबरें थी। पार्टी के सोशल मीडिया और डिजिटल संचार विभाग के राष्ट्रीय संयोजकों में से एक अनिल को लेकर कहा जाता है कि वह कभी भी मुख्यधारा की राजनीति का हिस्सा नहीं रहे। साथ ही उन्हें तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर का भी काफी करीबी माना जाता है। त्यागपत्र में भी उन्होंने मार्गदर्शन के लिए थरूर का धन्यवाद किया था।
सियासी एंट्री
साल 2000 में तिरुवनंतपुरम के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने मास्टर्स डिग्री स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से हासिल की। साल 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी राजनीति में एंट्री हुई। वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान उन्होंने केरल में कांग्रेस का डिजिटल मीडिया कॉर्डिनेटर बनाया गया था।
डाक्यूमेंट्री देश की संप्रभुता को कमजोर करेगा
एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने कहा था कि भारतीय संस्थानों पर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर के विचारों को रखना देश की संप्रभुता को कमजोर करेगा। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के साथ बड़े मतभेदों के बावजूद, मुझे लगता है कि वे (भारत में) बीबीसी के विचारों को रखते हैं, एक राज्य प्रायोजित चैनल (कथित भारत) पूर्वाग्रहों के एक लंबे इतिहास के साथ हमारी संप्रभुता को कमजोर कर देंगे’।
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