नई दिल्ली। लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ एक्शन लिया। मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई है हालांकि, अदालत के फैसले के बाद राहुल को तुरंत जमानत भी मिल गई। लेकिन इस फैसले की वजह से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई। लेकिन क्या वो सजा और अयोग्य होने से बच सकत थे। दरअसल इस सवाल के पीछे जो जवाब है वो तथ्यों पर आधारित है। वो बच सकते थे अगर पहले की तरफ सॉरी बोल दिया होता। इससे पहले उन्होंने कभी मानहानि के मामलों में माफी नहीं मांगी।
राहुल गांधी सूरत की अदालत में तीन बार पेश हुए और तीनों में एक बार भी उन्होंने अदालत में ये नहीं कहा कि वो अपने बयान के लिए माफी मांगते हैं। इससे पहले 2019 में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का जो नारा लगाया था, उसके लिए सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने तीन बार माफीनामा पेश किया था और इनमें जो अंतिम माफीनामा था, इसमें राहुल ने चौथे पॉइंट में ये लिखा था कि वो बिना शर्त अपने इस गलत बयान के लिए माफी मांगते हैं।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी थे और उन्होंने तब राहुल गांधी जो सलाह दी, उसकी वजह से राहुल गांधी माफी मांग कर इस केस से मुक्त हो गए थे। राहुल गांधी ऐसा ही कुछ इस मौजूदा मामले में भी कर सकते थे लेकिन शायद उनके वकीलों ने इस बार उन्हें ये सलाह दी कि वो माफी नहीं मांगे और इसी वजह से राहुल गांधी इस मामले में फंसते चले गए और अब वो इसकी वजह से सांसद से पूर्व सांसद बन गए।
दूसरे नेताओं ने भी मांगी है माफी
अगर बात दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं की करें तो मानहानि के एक मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल फंसे हुए थे। उन्होंने तीन मामलों में माफी मांगी। अरविंद केजरीवाल ने नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल से माफी मांगी थी। इसी तरह अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ भी ड्रग्स मामले में आरोप लगाया था। लेकिन बाद में माफी मांग ली।
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