दिल्ली। राजधानी दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपए वसूलने के आदेश दे दिए हैं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिया है। यह पैसा राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के तौर पर पब्लिश करने के लिए दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2015 को अपने आदेश में केंद्र और सभी राज्य सरकारों को ऐसे सरकारी विज्ञापनों से बचने को कहा था जिसका मुख्य उद्देश्य सरकार के किसी चेहरे या राजनीतिक पार्टी का प्रचार करना हो। कोर्ट ने इसके लिए गाइडलाइंस भी जारी किए थे। इसी आदेश के पालन के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से अप्रैल 2016 में CCRGA का गठन किया था। CCRGA ने जांच में पाया कि केजरीवाल सरकार की तरफ से दिए गए कुछ विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के खिलाफ हैं। 97,14,69,137 रुपये के विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते पाए गए। इसमें से 42,26,81,265 रुपये का भुगतान दिल्ली सरकार की तरफ से कर दिया गया लेकिन 54,87,87,872 रुपये का भुगतान अब भी बचा है। अब एलजी ने दिल्ली सरकार की तरफ से पहले ही भुगतान की जा चुकी 42 करोड़ की रकम और बकाए करीब 55 करोड़ की रकम को भी आम आदमी पार्टी के खाते से जमा कराने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने कमेटी बनाई थी, जांच में दोषी पाई गई AAP
अगस्त 2016 में हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन सदस्यों की एक कमेटी गठित की थी। कमेटी को विज्ञापनों पर खर्च की गई राशि को लेकर जांच के आदेश दिए गए थे। समिति ने 16 सितंबर 2016 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें AAP को दोषी पाया गया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि पार्टी ने सरकारी विज्ञापनों का इस्तेमाल खुद के लिए किया है। उन्होंने कई संचार माध्यमों से सरकारी पैसे पर विपक्ष पर निशाना साधा था।
दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने एलजी के आदेश पर पलटवार किया है। पार्टी का कहना है कि एलजी के पास इस तरह के आदेश देने का अधिकार ही नहीं हैं, लिहाजा कानून की नजर में उनके आदेश की कोई अहमियत ही नहीं है। AAP ने बीजेपी पर दिल्ली के लोगों को परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हर राज्य सरकार दूसरे राज्यों में विज्ञापन देती हैं लेकिन सिर्फ हमें क्यों निशाना बनाया जा रहा है।
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