नई दिल्ली। बीते एक डेढ़ साल में चलते-फिरते, नाचते-गाते और जिम में एक्सरसाइज करते वक्त अचानक लोगों के गिरने और तुरंत ही मौत होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अधिकांश लोगों की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई है।
लोगों में अचानक कार्डियक अरेस्ट आने के मामले पिछले कुछ समय में काफी बढ़ गए हैं या कह सकते हैं कि सामने आने लगे हैं। कार्डियक अरेस्ट तब आता है, जब दिल अचानक ब्लड को पम्प करना बंद कर देता है या फिर दिल की धड़कने बंद हो जाती हैं। ऐसा आमतौर पर बिना किसी चेतावनी के होता है। जब किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आता है, तो वह अचानक ज़मीन पर गिर जाता है, बेहोश हो जाता है और सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता है। बिना वजह बेहोश हो जाना, सीने में दर्द या फिर सांस लेने में तकलीफ और परिवार में कार्डियक अरेस्ट का इतिहास, कुछ ऐसे संकेत हैं, जिन पर नज़र ज़रूर रखनी चाहिए।
हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, पिछले कुछ समय से उत्सवों के दौरान हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट से संबंधित जोखिम बढ़े हुए देखे जा रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, इसके लिए कोरोना महामारी के दुष्प्रभावों को भी एक जोखिम कारक मानकर देखा जा रहा है। कोरोना ने हृदय की सेहत को कई स्तर पर गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे इससे संबंधित बीमारियों का जोखिम पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है। ज्यादातर लोग तो ऐसे हैं जिनको पहले से पता ही नहीं होता है कि उन्हें हृदय की समस्या है।
हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट
अचानक कार्डियक अरेस्ट दिल के दौरे के समान नहीं है। कार्डियक अरेस्ट से मौत अचानक हो जाती है और Cardiac Arrest आने पर मरीज की जीवन रक्षा से संबंधित सभी उपाय करने का भी समय नहीं मिल पाता है। वहीं हार्ट अटैक में मरीज को दिल की गति कुछ समय के लिए बाधित होती है और समय पर उचित इलाज मिलने पर मरीज की रिकवरी संभव है। Cardiac Arrest में भी यदि मरीज को सही समय पर कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) या छाती को कंप्रेशन दिया जाए तो मरीज को बचाया जा सकता है।
कोविड के बाद हार्ट अटैक बढ़ा
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के मुताबिक ऐसे मरीज जिन्हें गंभीर कोविड भी नहीं हुआ, उनमें भी ब्लड क्लॉटिंग के मामले तीन गुना बढ़े हैं जबकि सीवियर कोविड मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग के केस 27 गुना बढ़े हैं। हार्ट फेल होने के केस 21 गुना और स्ट्रोक के केस 17 गुना. अमेरिका में कोविड से पहले हर साल लगभग डेढ़ लाख हार्ट अटैक के केस रिपोर्ट होते थे, जो कोरोना की पहली लहर के बाद 14 परसेंट और दूसरी लहर के बाद 44 परसेंट बढ़ गए। हार्ट अटैक आने वालों में औसत उम्र 24 से 44 के बीच रही।
कई शोध में खुलासा
- अमेरिका के ह्यूस्टन फायर विभाग के मुताबिक,कोरोना काल में अचानक हृदय गति रुकने की कॉल की संख्या 45 फीसदी तक बढ़ी हैं।
- इटली के अध्ययन के मुताबिक कोरोना की वजह से अस्पताल के बाहर अचानक हृदय गति रुकने के मामले 77 फीसदी तक बढ़े हैं।
- फ्रांस में हुए शोध के अनुसार पेरिस में भी कोरोना के दौरान अस्पताल के बाहर कार्डियक अरेस्ट के मामले दोगुना बढ़े हैं।
- फिलाडेल्फिया के अध्ययन के मुताबिक कोरोना के भर्ती 700 मरीजों में 1.3 फीसदी कार्डियक अरेस्ट के शिकार हुए।
कार्डियक अरेस्ट से बचने के उपाय
हार्ट की पंपिंग में कोई दिक्कत आने या धमनियों में ब्लॉकेज होने पर हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ता है। इसलिए अपनी जीवन शैली को नियमित रखने का प्रयास करें। ज्यादा तेल, घी या वसायुक्त भोजन का सेवन न करें। रोज कम से कम 40 मिनट कार्डियो एक्सरसाइज जरूर करें, जिसमें मॉर्निंग वॉक, ब्रिस्क वॉक, स्विमिंग, रो जंपिंग, साइकिल चलाना आदि शामिल हैं।
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