बिजनौर। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में हुए बहुचर्चित तंजील अहमद और उनकी पत्नी के हत्याकांड के मुख्य आरोपी मुनीर की जेल में बीमारी के चलते मौत हो गई। इस हत्याकांड में दोषी पाए गए दो आरोपियों मुनीर व रैय्यान को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। बीते पांच वर्ष से सोनभद्र जेल में बंद मुनीर को पेशाब की नली में इंफेक्शन के साथ उसको न्यूरो से जुड़ी समस्या थी।
बहुचर्चित तंजील अहमद हत्याकांड में दो अप्रैल 2016 की रात मुनीर ने अपने साथी रय्यान के संग मिलकर अंजाम दिया था। हत्याकांड के 26 जून को मुनीर की गिरफ्तारी नोएडा में की गई थी। मामला कोर्ट में चला तो दोषी ठहराने जाने तक 159 तारीख लगीं। 19 गवाहों ने कोर्ट में बयान दिए। इस न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने में 73 महीने 18 दिन का वक्त लगा। इस दौरान 44 गवाह बनाए गए थे। केस में सिर्फ 19 गवाही हुई। इनमें पुलिसकर्मी, डॉक्टर और स्वजन शामिल थे।
हत्या क्रूरता की पराकाष्ठा
कोर्ट ने आदेश में लिखा कि दोषियों ने पूर्व नियोजित योजना के अनुसार नृशंस हत्या की है। इस घटना को बिना किसी उकसावे के अंजाम दिया गया। दोषियों द्वारा एक पुलिस अधिकारी और उनकी पत्नी पर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर की गई यह हत्या क्रूरता की पराकाष्ठा है।
कुख्यात अपराधी मुनीर ने एनआइए के अफसर तंजील और उसकी पत्नी की हत्या उस समय कर दी थी जब वो दोनों बिजनौर जिले में शादी समारोह से वापस लौट रहे थे। मुनीर और उसके साथी ने कार रुकवाकर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं थी। एनआइए अफसर तंजील अहमद की मौके पर मौत हो गई थी। उनकी पत्नी फरजाना ने मुरादाबाद के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। दोनों बच्चों ने सीट के नीचे घुसकर अपनी जान बचाई थी।
साल 2016 में जब तंजील अहमद हत्याकांड को अंजाम दिया गया तो उस वक्त इसकी जांच एनआईए ने भी की। प्रदेश के तीन आईजी इसकी जांच में जुटे थे। शुरुआत में इस हत्याकांड को आतंकी कनेक्शन से जोड़कर देखा गया था, हालांकि बाद में सहसपुर के ही रहने वाले मुनीर और उसके साथी रैय्यान समेत पांच लोगों को आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया। पांचों आरोपियों में से तीन को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि मुख्य आरोपी मुनीर और रैय्यान को फांसी की सजा सुना दी गई।
उसने स्वीकार किया कि वह अत्याधुनिक हथियार एके-47 खरीदने जा रहा था, ताकि पश्चिमी यूपी व एनसीआर में अपनी किलिंग मशीन ए-कंपनी का डंका बजा सके। मुनीर ने पूछताछ में खुलासा किया कि एके-47 खरीदने के मकसद से उसने बिजनौर में 90 लाख रुपया लूटा था। इस बात की भनक तंजील को लग गई और वह उसकी राह का रोड़ा बनता दिख रहा था। इसलिए उसने तंजील को ही मार दिया।
कुख्यात अपराधी रहा है मुनीर, दर्ज हैं 33 मुकदमे
तंजील हत्याकांड में फांसी की सजा पाने वाले कुख्यात गैंगस्टर मुनीर कुख्यात अपराधी रहा है। उसके खिलाफ 33 मुकदमे दर्ज हैं। अलीगढ़ में ही उसके खिलाफ 15 मुकदमे हैं। आठ केस बिजनौर में दर्ज हुए हैं। दिल्ली और अन्य जगहों पर भी कई केस दर्ज हैं।
पुलिस रिकाॅर्ड की मानें तो मुनीर के खिलाफ पहला मुकदमा साल 2013 में अलीगढ़ के सिविल लाइन थाना में दर्ज हुआ था। इसके बाद दिल्ली के जामिया नगर में लूट का मुकदमा भी साल 2013 में ही लिखा गया। इसी साल अलीगढ़ में दो और मुकदमे हुए। साल 2014 में दस मुकदमे मुनीर के खिलाफ अलीगढ़ और दिल्ली में दर्ज हुए। दिल्ली के जाफराबाद में साल 2014 में ही लूट और हत्या का केस हुआ। दिल्ली के रुपनगर थाने में भी इसी साल एक और हत्या का केस मुनीर के खिलाफ लिखा गया। दिल्ली के बाद अलीगढ़ में भी साल 2014 में हत्या का केस दर्ज हुआ। लखनऊ में भी एक हत्या समेत दो केस मुनीर के खिलाफ दर्ज हैं।
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