नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुनवाई करने पर सहमत हो गए। याचिका में उच्चतर न्यायापालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक नई स्वतंत्र व्यवस्था करने की मांग की गई है।
वकील मैथ्यू जे नेदुमपारा ने मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष इस मामले का गुरुवार को उल्लेख किया था। नेदुमपारा ने कहा कि 2015 के फैसले ने कॉलेजियम प्रणाली को पुनर्जीवित किया था, जिसे शुरू से ही अमान्य कर दिया जाना चाहिए था। इस पर कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली, जिसे सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ के फैसले के द्वारा लाया गया था कि संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत दायर एक रिट याचिका में समीक्षा की जा सकती है। पीठ ने वकील को आश्वासन दिया कि इसे समय के साथ सूचीबद्ध किया जाएगा।
याचिका के अनुसार, उच्चतर न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली न्यायिक नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप को पूरी तरह से दूर रखने में और सबसे अच्छे और सबसे योग्य जजों की नियुक्ति में पूरी तरह से विफल रही है। इसके बजाय इसके जरिए उच्च न्यायपालिका के जजों के प्रतिष्ठित पद पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व जजों, उनके कनिष्ठों, प्रतिष्ठित वकीलों के परिजनों का एकाधिकार हुआ है। याचिका में मांग की गई है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह एक निष्पक्ष, पूर्ण रूप से स्वतंत्र यहां तक कि न्यायपालिका से भी स्वतंत्र निकाय बनाए जो उपयुक्त तथा योग्य उम्मीदवारों का जजशिप के लिए चयन करे।
कॉलेजियम ने दो जजों के तबादला का विरोध
कॉलेजियम ने हाईकोर्ट के तीन जजों का स्थानांतरण कर दिया है। गुजरात हाईकोर्ट से जस्टिस निखिल एस करियल औैर तेलंगना हाईकोर्ट के जज ए अभिषेक रेड्डी का पटना हाईकोर्ट तथा मद्रास हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा का राजस्थान हाईकोर्ट स्थानांतरण किया गया है। जस्टिस करियल का स्थानांतरण करने का बार एसोसिएशन ने कड़ा विरोध किया है
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