लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए थे। अपने आरोप को सच साबित करने में सपा जुटी हुई है। सपा ने सभी उम्मीदवारों से तीन नवंबर तक दस्तावेज जमा करान को कहा था क्योंकि पार्टी को दस नवंबर से पहले आयोग के पास अपना जवाब दाखिल करना होगा।
सपा ने सोमवार को अपने सभी 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव उम्मीदवारों (जीतने वाले और हारने वाले) और जिला इकाइयों के शीर्ष पदाधिकारियों को “मतदाताओं की सूची को गलत तरीके से काट दिए जाने” के सबूत इकट्ठा करने के लिए कहा है। साथ ही रिटर्निंग अधिकारियों को की गई शिकायतों की छायाप्रति भी संकलित करने के निर्देश दिए है। यह कदम भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को 2022 के यूपी में मतदाता नामों को हटाने के अपने आरोप को साबित करने के लिए “दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत करने” के लिए कहा गया था, इसके चार दिन बाद आया है।
पार्टी ने भी उम्मीदवारों से मांगी है डिटेल
सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया है कि पार्टी ने उम्मीदवारों के लिए पार्टी मुख्यालय में दस्तावेज जमा करने की समय सीमा 3 नवंबर निर्धारित की है, ताकि उन्हें चुनाव आयोग को समय पर भेजा जा सके। पार्टी ने यह पत्र अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया है।
दस नवंबर तक देना है आयोग को जवाब
पटेल के पत्र में ऐसे मतदाताओं से हलफनामा लेने को भी कहा गया जिनके नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से काट दिए गए। मामले से वाकिफ लोगों के मुताबिक, 27 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव से 10 नवंबर तक अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए सबूत पेश करने को कहा था।
आयोग की नोटिस पर भड़के थे अखिलेश
अखिलेश ने 28 अक्टूबर को पोल पैनल पर पलटवार किया और कहा कि क्या चुनाव आयोग ने 2022 के यूपी में मतदाता सूची से संबंधित नियमों का पालन किया था। विधानसभा चुनाव होते तो हजारों मतदाता अपने वोट से वंचित नहीं होते। पिछले महीने, सपा प्रमुख ने आरोप लगाया था कि फरवरी-मार्च में राज्य के चुनाव से पहले लगभग सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों से यादव और मुस्लिम समुदायों के 20,000 मतदाताओं के नाम हटा दिए गए थे।
अखिलेश यादव ने लगाए थे ये आरोप
दरअसल सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 29 सितंबर को चुनाव आयोग पर यूपी विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी करने के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि बीजेपी के इशारे पर यूपी की लगभग हर विधानसभा क्षेत्रों में यादवों और मुस्लिमों के कम से 20, 000 वोट कम कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं पहले भी कह चुका हूं और फिर से कहूंगा कि अगर जांच होती है तो पता चलेगा कि हमारे 20,000 वोट खारिज कर दिए गए, कई लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए। कुछ लोगों के एक बूथ से दूसरे बूथ पर ट्रांसफर कर दिया गया।”
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