नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भड़काऊ और नफरती भाषणों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांप्रदायिक आधार भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने साथ ही सरकारों को निर्देश देते हुए कहा कि हेट स्पीट मामलों में अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो अवमानना माना जाएगा।
जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेष राय की पीठ ने कहा कि संविधान कहता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। इसमें भाईचारा तथा आपसी गौरव की बात संविधान की प्रारंभिका में ही लिखी गई है। पीठ ने शाहीन अब्दुल्ला नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर यूपी और उत्तराखंड सरकारों को नोटिस भी जारी किए पीठ ने कहा कि राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने के लिए नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, भले ही वे किसी भी धर्म के हों।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर तीनों राज्यों को नोटिस भी जारी किया और कहा कि वे जवाब दाखिल कर बताएं कि याचिका में दिए गए नफरती भाषणों के मामले में उन्होंने क्या कार्रवाई की है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में प्रतिपक्षी बनाए गए राज्य अपने अधीनस्थों को आदेश दें कि वे धर्म पर ध्यान दिए बगैर नफरत फैलाने वाला भाषण देने वाले के विरुद्ध कार्रवाई करें ताकि संविधान की प्रस्तावना में बताया गया राष्ट्र का पंथनिरपेक्ष चरित्र कायम रहे।
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