बरेली। ट्रेन में पांच साल पहले सामान खोने से जुड़े एक मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में एनसीडीआरसी ने उत्तर रेलवे महाप्रबंधक, गाजियाबाद के स्टेशन मास्टर और टिकट परीक्षक को ‘सेवा में कमियों के लिए’ बरेली के एक पति-पत्नी को 83 हजार 392 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
8 अगस्त, 2017 को दंपति, कामाख्या एक्सप्रेस से जोधपुर से बरेली की यात्रा कर रहे थे। शिकायत के मुताबिक पीड़ित दंपति ने गाजियाबाद के पास अपना कीमती सामान खो दिया। बरेली जंक्शन पहुंचने पर सत्येंद्र कुमार त्रिपाठी ने राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) में शिकायत दर्ज कराई।
बरेली निवासी त्रिपाठी ने अपनी याचिका में कहा कि वह और उनकी पत्नी एसी-2 टियर में यात्रा कर रहे थे। उनका कोच एक स्लीपर कोच के बगल में था, जहां से कई अन्य यात्री नॉन-एसी डिब्बे से उनकी तरफ आ रहे थे। उन्होंने तब टिकट परीक्षक से कोच इंटरलिंकिंग गेट बंद करने के लिए कहा, लेकिन परीक्षक ने उनकी बात को अनसुना कर दिया।
त्रिपाठी ने शिकायत में कहा कि वे अपने सामान को लेकर अतिरिक्त सतर्क थे, और रात भर जागते रहे। जब ट्रेन गाजियाबाद में दाखिल हुई, तो उन्होंने अपना बैग नकदी, फोन और आभूषण सहित अन्य कीमती सामानों को गायब पाया। बरेली में उतरने के बाद त्रिपाठी ने जीआरपी के पास भारतीय रेल अधिनियम की धारा 100 (सामान के वाहक के रूप में जिम्मेदारी) के तहत एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद उनका मामला गाजियाबाद भेज दिया गया।
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा शिकायती अपनी शिकायत के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं पेश नहीं कर सका, और न ही उसने सामान बुक किया था, और इसकी रसीद प्राप्त की थी। इसलिए, रेलवे को उसके सामान के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
इस बीच, दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अध्यक्ष प्रवीण कुमार जैन और शैलजा सचान की पीठ ने रेलवे को आदेश के 60 दिनों के भीतर त्रिपाठी को उनके नुकसान के लिए 78,392 रुपए और मुकदमेबाजी खर्च के लिए 5000 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
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