नोएडा। उत्तर प्रदेश में रहने वाला एक किशोर जटिल न्यायिक प्रकिया के चलते अपने पिता की जान नहीं बचा सका। बेटे को अपने पिता की जान बचाने के लिए अपना लिवर डोनेट करना था, लेकिन इसमें कानूनी अड़चन सामने आ रही थी।
17 वर्षीय किशोर के पिता को लिवर संबंधी गंभीर समस्या थी। वह नोएडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। उनका लिवर ट्रांसप्लांट किया जाना था। बेटा अपने पिता को लिवर डोनेट करने के लिए भी तैयार था, लेकिन इसमें कानूनी पेंच सामने आ गए। किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बिना किसी देरी के हस्तक्षेप करने की मांग की थी। कोर्ट ने याचिक पर तत्काल संज्ञान भी लिया।
लेकिन जब तक कोर्ट अपना फैसला सुनाता, तब तक उसके पिता इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। बेटा अपने पिता को हमेशा के लिए खो चुका था। ये बात जब सुप्रीम कोर्ट में बताई गई तो कोर्ट का माहौल भी गमगीन हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा था जवाब
याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शुक्रवार को सीजेआई जस्टिस यूयू ललित ने यूपी के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को कोर्ट में मौजूद रहने का निर्देश दिया था। कोर्ट यह जानना चाह रहा था कि क्या ऐसी परिस्थितियों में अंगदान से जुड़े कानून को लचीला बनाया जा सकता है। कानूनन सिर्फ वयस्क ही अंगदान कर सकते हैं।
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