लखनऊ। केंद्र व राज्य सरकारों की सेवा में तैनात यूपी काडर के 27 से अधिक आईएएस अधिकारियों ने नियत अवधि बीतने के बावजूद संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है। इसमें जिलाधिकारी (डीएम), विशेष सचिव स्तर और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी भी शामिल हैं।
कई ऐसे अफसरों ने भी ब्योरा देने की जरूरत नहीं समझी, जो इस वर्ष एक जनवरी या उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले थे। पदोन्नतियों पर विचार के लिए तय समय पर संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य है। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के अनुसार ऐसा न करने पर कार्रवाई का भी प्रावधान है।
मृतकों, सेवा छोड़ने वालों से भी मांगा जा रहा विवरण
केंद्र सरकार मे डीओपीटी आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति से सेवानिवृत्ति व कार्रवाई तक के लिए जिम्मेदार है। मगर, डीओपीटी की वेबसाइट पर एक जनवरी, 2022 से आईपीआर दाखिल करने में विफल अधिकारियों की सूची में उनका भी नाम शामिल है, जिनकी काफी समय पहले सेवा में रहते हुए मृत्यु हो चुकी है या सेवा छोड़ चुके हैं। सूची में शामिल 1993 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल अक्तूबर 2019 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। उनका नाम भी आईपीआर दाखिल न करने वाले अफसरों के साथ शामिल है। राजीव वर्तमान में फेसबुक (मेटा) के पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर हैं।
11 जनवरी को मुख्य सचिवों को लिखा था पत्र
केंद्र सरकार के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया, डीओपीटी में स्थापना अधिकारी एवं अपर सचिव दीप्ति शंकर ने इस वर्ष 11 जनवरी को राज्यों के मुख्य सचिवों को इस संबंध में पत्र लिखा था। उन्होंने आईएएस आचरण नियमावली का हवाला देते हुए समस्त कार्यरत आईएएस अधिकारियों को 31 दिसंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार 31 जनवरी 2022 तक अपनी अचल संपत्ति का ब्योरा दाखिल कराने को कहा था।
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