गाजियाबाद। नए कमरों में अब चीज़ें पुरानी कौन रखता है, परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है। हमीं गिरती हुई दीवार को थामे रहे वरना, सलीके से बुज़ुर्गों की निशानी कौन रखता है….। प्रख्यात शायर मुनव्वर राणा की यह पंक्तियां हमारी सोई संवेदना को जगाती हैं। अगर संवेदनाएं जग गईं तो परिंदों को इस गर्मी में प्यास से तड़पकर नहीं मरना पड़ेगा। इसी क्रम हऱ गर्मी बढ़ने पर पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित स्वच्छ वैशाली वसुंधरा टीम ग्रीन बेल्ट मे चिड़ियों के पानी पीने के लिए मिट्टी के बर्तन रखती है और नियमित रूप से इनकी सफाई क़र ताज़ा पानी डाला जाता है।
वैशाली सेक्टर 6 निवासी उषा रावत, आन्या रावत, मणिकांत झा, दीप दानी, कौशल शर्मा, पुष्कर रावत, चन्द्रदीप, सुशील डोभाल समेत करीबन 30 लोग स्वच्छ वैशाली वसुंधरा मुहीम को चला रहे हैं। यह प्रक्रिया कोरोना काल मे भी जारी रही थी। टीम ने अब ग्रीन बेल्ट मे अलग अलग स्थानों पर पानी के बर्तन रखे गए हैँ। टीम का मानना है कि इन दिनों पारा लगातार उछाल पर है। गर्मी व लू बदन से नमी को सोख लेना चाहती है। हम-सब तो अपने बचाव के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं। फ्रिज का ठंडा पानी पी रहे हैं। एसी, कूलर का सहारा ले रहे हैं। धूप से बच रहे हैं, लेकिन पशु व पक्षी पानी को तरस रहे हैं। धूप में यूं ही उड़ने को मजबूर हैं। जंगल, झुरमुट साफ हो जा रहे हैं। परिंदों के घोसले कहां बनें यह सोचने को इंसान तैयार नहीं। हम लोग अपने दैनिक जीवन में बहुत सारा पानी अनावश्यक रूप से बहा दे रहे हैं। उसी में से थोड़ा सा पानी किसी पात्र में भरकर सुबह शाम छतों पर रखें तो परिंदों की प्यास बुझ सकेगी। वह अपनी जान बचा सकेंगे।
कभी डंपिंग ग्राउंड बने इस इलाके की सूरत काफी बदल गयी है। स्वच्छ वैशाली वसुंधरा की टीम यहाँ नियमित सफाई अभियान चलाती है। अब सोसाइटी और आसपास से लोग यहां पर जॉगिंग ट्रैक पर वाकिंग करने आते हैँ और योगा भी करते हैँ।
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