नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ऑटोमोबाइल कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने उनसे वादा किया है कि वे 6 महीने के अंदर फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर देंगे। गडकरी ने कहा कि सरकार पब्लिक ट्रांस्पोर्ट को 100 प्रतिशत क्लीन एनर्जी सोर्स से चलाने के प्लान पर काम कर रही है।
नितिन गडकरी कहा कि इस हफ्ते, मैंने सभी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर्स और सियाम के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। उन्होंने मुझसे वादा किया कि वे ऐसी गाड़ियों के लिए फ्लेक्स-फ्यूल इंजन का विनिर्माण शुरू करेंगे, जो एक से अधिक ईंधन से चल सकते हैं। फ्लेक्स-फ्यूल, गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के मिश्रण से तैयार एक वैकल्पिक ईंधन है। उन्होंने कहा कि टीवीएस मोटर और बजाज ऑटो जैसी कंपनियों ने पहले ही टू-व्हीलर्स और थ्री व्हीलर के लिए फ्लेक्स-फ्यूल इंजन की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है।
फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल कैसे काम करते हैं?
इन फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल में आम कारों की ही तरह सभी उपकरण लगे हैं। लेकिन इसमें कुछ खास उपकरण भी लगाए गए हैं. इसमें इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल लगाया गया है। यह फ्यूल मिक्सर, इग्निशन टाइमिंग, एमिशन सिस्टम, वाहन के संचालन और वाहन में आने वाली समस्या को सटीक तौर पर नियंत्रित करता है। इन वाहनों में खास फ्यूल टैंक होता है, जिसमें दो ईंधन को रखने की क्षमता होती है।
फ्लेक्सिबल फ्यूल सस्ता ईंधन विकल्प
ईंधन के रूप में तेल सीमित स्रोत है। ऐसे में यह जरूरी है कि इसका विकल्प तलाशा जाए। ऐसे में फ्लेक्स फ्यूल एक अहम विकल्प है. पेट्रोल और इथेनॉल को मिलाकर इस्तेमाल करने से ईंधन की कमी को दूर किया जा सकता है. ये पारंपरिक ईंधन से सस्ता भी पड़ता है।
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