नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने ‘चीनी मांझा’ की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों को कुशलतापूर्वक लागू करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा चीनी मांझा की वजह से हुई घातक चोटों के कारण अपने छोटे बेटे को खोने वाले ईश्वरर सिंह दहिया की याचिका पर सुनवाई कर रहे है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने एनजीटी द्वारा पारित आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बावजूद दिल्ली में अभी भी चीनी मांझा की बिक्री हो रही है।
अदालत ने कहा है कि स्पष्ट रूप से उत्पाद अभी भी उपलब्ध है ऐसे में संबंधित अधिकारी अदालत के सामने शपथपत्र दायर कर बताए कि आदेश का पालन करने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाए गए हैं। अदालत ने कहा प्रतिवादी अदालत को उन कदमों से भी अवगत कराएंगे जो उन्होंने पहले ही उठा लिए हैं और आगे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रस्ताव करना चाहिए कि एनजीटी के निर्देश और इस हानिकारक वस्तु की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश प्रभावी ढंग से लागू हों। अदालत ने मामले की सुनवाई 4 जनवरी 2022 को तय की है।
बता दें एनजीटी ने वर्ष 2017 में नायलॉन या किसी भी सिंथेटिक मांझा या धागे के निर्माण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, जो कि प्रकृति में घातक और गैर-बायोडिग्रेडेबल है। ट्रिब्यूनल ने सभी राज्य सरकारों को पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिंथेटिक मांझा/नायलॉन धागे और इसी तरह के अन्य सभी सिंथेटिक धागे के निर्माण, बिक्री, स्टोर, खरीद और उपयोग पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया है।
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