लखनऊ/ गाज़ियाबाद। समाज हित में 45 वर्षों से सक्रिय भागीरथ सेवा संस्थान ने पूरे प्रदेश में गाजियाबाद का नाम रोशन किया है। गाजियाबाद से संचालित स्वयंसेवी संगठन भागीरथ सेवा संस्थान को दिव्यांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार से नवाजा गया है। विश्व दिव्यांगता दिवस के अवसर पर आज दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भागीरथ सेवा संस्थान के निदेशक श्री अमिताभ सुकुल को इस राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया। भागीरथ सेवा संस्थान को पूरे प्रदेश में दिव्यांगता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाली संस्था चुने जाने के बाद राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए नामित किया गया था और विश्व दिव्यांगता दिवस पर लखनऊ में आज हो रहे कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था।
भागीरथ सेवा संस्थान के निदेशक श्री अमिताभ सुकुल ने बताया कि संस्थान की शुरुआत 1976 में श्री कुसुमाकर सुकुल ( पूर्व रक्षा वैज्ञानिक) एवं उनकी धर्मपत्नी स्व. श्रीमती कमला सुकुल (शिक्षाविद) ने सच्ची सेवा के उद्देश्य से की थी। तभी से संस्थान विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर समाज सेवा के लिए अनवरत प्रयासरत है।
भागीरथ सेवा संस्थान दिव्यांगजन को आत्मनिर्भर बनाने एवं उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 20 वर्षों से भागीरथ स्पेशल स्कूल एवं करीब 12 वर्षों से डे-केयर सेंटर का संचालन कर रहा है। संस्थान दिव्यांजन के लिए स्कूली शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा के बाद अब उनके निवास के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने की तरफ भी अग्रसर है।
संस्थान के पिछले 45 वर्षों के कार्यकाल में दिव्यांगजनों की मदद के लिए सरकार एवं समाजसेवियों की सहायता से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में करीब 5000 पात्र लोगों को अबतक कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण वितरित किए गए जिसके प्रयोग से वे अपनी दिनचर्या को बेहतर बना पाए एवं छोटे-छोटे कार्यों के लिए परनिर्भरता से उबर पाए।
संस्था द्वारा दिव्यांगजनों को शिक्षा एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी मुहैया कराए गए। संस्थान ने दिव्यांजनों को स्कूल और कॉलेज में नौकरी देकर, पीसीओ, खानपान के स्टॉल, टी-स्टॉल और छोटे-छोटे रोजगारों से जोड़ा है। गाजियाबाद में मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल (आईएएस) की विशेष प्रेरणा एवं प्रयासों से दिव्यांगजनों द्वारा संचालित एक मॉडल कैंटीन “दिव्यांग कैंटीन” संस्थान की दिव्यांगजन के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
विशेष विद्यालय में शिक्षा समाप्त हो जाने के बाद भी संस्थान ने दिव्यांग विद्यार्थियों को आगे की शिक्षा (हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट) ग्रहण करने के रास्ते खुले रखते हुए कैंपस में ही स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल के स्टडी सेंटर से पढ़ाई जारी रखने या अवसर मुहैया कराता है।
दिव्यांगजनों की देखरेख एवं उन को शिक्षित करने के लिए फाउंडेशन कोर्स के साथ विशेष ट्रेनर तैयार करने हेतु रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया, भारत सरकार द्वारा एफिलिएटेड ‘कैमकुस कॉलेज ऑफ स्पेशल एजुकेशन एंड रिसर्च’ का संचालन कर रहा है, जहां ऑटिज्म और इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी मे ‘डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन कोर्स’ का संचालन कर विशेष शिक्षक/प्रशिक्षक तैयार किये जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा बेसहारा बुजुर्गों के लिए पिछले 10 वर्षों से वृद्धाश्रम और नशे की जद में पढ़कर अपनी जिंदगी दांव पर लगाने वाले लोगों की पुनर्स्थापना करने एवं समाज की मुख्यधारा में वापस जोड़ने के लिए ड्रग डी-एडिक्शन एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर का भी संचालन कर रहा है। निराश्रित, गरीब एवं विधवा महिलाओं के उत्थान के लिए भी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम भी संस्थान द्वारा समय-समय पर आयोजित किए जाते रहे हैं।
संस्थान के अध्यक्ष कुसुमाकर सुकुल ने संस्थान को पूरे प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ संस्था चुनने एवं दिव्यांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों हेतु राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ का हृदय से आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि भागीरथ सेवा संस्थान आगे भी सच्ची सेवा और समर्पण के भाव से समाज एवं देश हित में कार्य करता रहेगा।
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