दिल्ली। दिल्ली दंगे की साजिश के मामले में गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार उमर खालिद ने कड़कड़डूमा कोर्ट में जमानत अर्जी पर अपना पक्ष रखा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में उमर की ओर से पेश हुए वकील त्रिदीप पैस ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में होने वाला प्रदर्शन धर्मनिरपेक्ष था, जबकि पुलिस का दंगे की साजिश से जुड़ा आरोपपत्र सांप्रदायिक है। त्रिदीप पैस ने कहा कि आरोप पत्र पुलिस की कल्पना की उपज है, अपनी कहानी के हिसाब से सबकुछ गढ़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी ने आरोपपत्र बनाने की बजाय उपन्यास लिख दिया है। वकील ने कहा कि दंगे के वक्त उमर दिल्ली में मौजूद नहीं था, उसके पास से किसी तरह की कोई बरामदगी नहीं हुई। न ही कोई ऐसा सुबूत मिला जिससे यह साबित हो सके कि अमर को कहीं से कोई फंड मिला था।
उन्होंने कहा कि दंगे के काफी दिन बाद पुलिस ने उमर के खिलाफ केस दर्ज किया। किसी भी गवाह ने यह नहीं कहा कि सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में किसी एक महिला के साथ गलत व्यवहार हुआ हो। पुलिस ने अगर ठीक तरह से जांच की होती तो आरोपपत्र में टुकड़े-टुकड़े शब्द का इस्तेमाल न किया होता। महज कॉल डिटेल्स के मुताबिक दूसरे आरोपियों के लोकेशन के साथ मिलान करने पर खालिद को गिरफ्तार कर लिया गया।
बता दें दिल्ली दंगों में उमर खालिद सहित दूसरे लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया और खालिद पर दंगे का ‘मास्टरमाइंड’ होने के आरोप लगे थे। इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 700 से अधिक लोग जख्मी हुए थे।
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