नई दिल्ली/गाजियाबाद। राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की वजह से हवा लगातार जहरीली बनी हुई है। जहरीली हवा न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए एक चिंता का सबब है। यदि 2019 के मुकाबले इस बार दिवाली में लोगों ने आधी मात्रा में भी आतिशबाजी जलाई तो राजधानी का दम घुटना तय है। मौसम विभाग के वैज्ञानिक वीके सोनी ने कहा है कि 4 नवंबर तक हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रहने की संभावना है। वहीं, उत्तर-पश्चिमी हवाओं और पटाखे फोड़ने के कारण 5-6 नवंबर को यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रह सकती है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगले 3 दिनों तक न्यूनतम तापमान 13-15 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की हवा गुणवत्ता का पूर्वानुमान बताने वाली एजेंसी SAFAR के अनुसार, दिवाली की रात दिल्ली के हवा की क्वालिटी का स्तर ‘बदतर’ होगा और इसमें पराली जलाने के कारण प्रदूषण की हिस्सेदारी PM 2.5 होगी। हवाओं के साथ देने की वजह से पराली जलाने के बढ़ते मामलों के बावजूद पराली प्रदूषण 10 प्रतिशत के आसपास रह सकता है। मंगलवार को 1789 जगहों पर पराली जली लेकिन पराली प्रदूषण महज 6 प्रतिशत रहा। लेकिन 4 नवंबर को पराली जलाने का असर राजधानी की हवा पर भी पड़ेगा। 4 नवंबर से हवाओं की दिशा नार्थ वेस्टर्ली हो जाएगी जिसकी वजह से पराली का धुआं राजधानी पहुंचने लगेगा। दिवाली के अगले दिन ‘PM 2.5’ प्रदूषण में 40 फीसद तक हिस्सेदारी पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की हो सकती है।
यदि 2019 की तुलना में 50 प्रतिशत आतिशबाजी भी होती है तो 4 नवंबर की रात को राजधानी प्रदूषण के लिहाज से गंभीर स्थिति में पहुंच जाएगी और 5 नवंबर को भी प्रदूषण का हाल ऐसा ही रहेगा। 6 नवंबर को थोड़ा सुधार होगा लेकिन प्रदूषण स्तर बेहद खराब से गंभीर स्तर के बीच बढ़ता कम होता रहेगा। यह बात ध्यान रखनी होगी कि दिवाली के आसपास 4 से 6 नवंबर तक पराली प्रदूषण भी राजधानी में 20 से 40 प्रतिशत तक रह सकता है। यह तब रहेगा जब दिवाली पर पराली के मामले भी पिछली दिवाली जितने रहे। अनुमान के मुताबिक 5 नवंबर 2021 को पराली का पीक रहेगा जब प्रदूषण 40 प्रतिशत के करीब होगा यदि पराली जलाने के मामले 4000 के आसपास रहते हैं तो।
देश का सबसे प्रदूषित शहर बना गाजियाबाद
मंगलवार को देश के 135 शहरों का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने शाम चार बजे एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) जारी किया तो उसमें सबसे अधिक एक्यूआई गाजियाबाद का रहा। जो 334 दर्ज किया गया है। 2 दिन पहले गाजियाबाद का एक्यूआई 350 के आसपास भी पहुंच गया था। एनसीआर के दिल्ली, नोएडा और फरीदाबाद का एक्यूआई बहुत खराब की श्रेणी में था।
हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट के मुताबिक वर्ष 2015 में भारत में 10 लाख से ज्यादा असामयिक मौतों का कारण वायु प्रदुषण था। वर्ष 2019 में वायु प्रदूषण के चलते 18 फीसद मृत्यु हुई। इतना ही नहीं अब इसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस वर्ष अर्थव्यवस्था को जीडीपी का करीब 14 फीसद नुकसान उठाना पड़ा है। वायु प्रदूषण का गंभीर नकारात्मक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ा है, इसमें श्रम उत्पादकता और कृषि उत्पाद भी शामिल हैं।
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