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कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार (21 सितंबर 2021) को हिंदुओं के ईसाई धर्मांतरण का मुद्दा उठाया गया। पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक गूलीहट्टी शेखर ने इस मसले को उठाते हुए ईसाई मिशनरियों पर कार्रवाई की माँग की। उन्होंने यह भी बताया कि जो लोग इसका विरोध करते हैं उन्हें मिशनरी दुष्कर्म और प्रताड़ना के झूठे मामलों में फँसा रही है। राज्य के गृह मंत्री ए ज्ञानेंद्र ने उन्हें इस दिशा में कार्रवाई का भरोसा दिलाते हुए कहा कि प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन अपराध है।
गुलीहट्टी शेखर ने बताया कि उनकी माँ का भी धर्मान्तरण करा उन्हें अपने माथे पर कुमकुम का तिलक नहीं लगाने को कहा गया है। हालात ये हो गए हैं अब उनकी माँ घर के पूजा स्थल में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमा तक को नहीं देखना चाहती है। फोन का रिंगटोन ईसाई प्रार्थनाओं में बदल लिया है।
विधायक ने बताया कि उनके इलाके में सक्रिय ईसाई मिशनरियों ने उनकी माँ को प्रार्थना करने के लिए बुलाया। उनसे कहा कि वे बेहतर महसूस करेंगी। फिर उन्हें अपने जाल में फँसा लिया। उन्होंने कहा, “घर में पूजा करने में हमें परेशानी हो रही। यह हमारे लिए बहुत मुश्किल हो गया है। अगर हम उन्हें (माँ) कुछ भी बताने की कोशिश करते हैं तो वह कहती है कि वह अपना जीवन समाप्त कर लेंगी।”
होसादुर्ग विधानसभा में सक्रिय मिशनरियों की ओर ध्यान खींचते हुए विधायक ने बताया, “मिशनरी होसदुर्गा विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण में लिप्त हैं। उन्होंने हिंदू धर्म से 18 से 20000 लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया है।” बीजेपी नेता का आरोप है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के जिन लोगों का धर्मान्तरण ईसाई मिशनरियों ने करवाया है जब उन्हें इसको लेकर समझाया जाता है तो वो झूठे रेप केस में फँसाने की धमकियाँ देते हैं।
राज्य के गृह मंत्री ज्ञानेंद्र आरागा ने धर्मान्तरण के मुद्दे को आपराधिक और संवेदनशील बताते हुए कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि राज्य समेत देशभर में एक सुव्यवस्थित तरीके और नेटवर्क के जरिए धर्मान्तरण कराया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस खतरे से निपटने के लिए दूसरे राज्यों के धर्मान्तरण के कानूनों का अध्ययन करेगी। वहीं विधानसभा अध्यक्ष वी हेगड़े ने इस दौरान कहा कि जब वे विपक्ष में थे तो उन्होंने भी इस मसले को उठाया था लेकिन तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों ने इसे रोकने के लिए कानून बनाया है। यदि कर्नाटक में भी ऐसा किया जाता है तो इससे मदद मिलेगी।
साभार-ऑपइंडिया।
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