पढ़िये दैनिक जागरण की ये खास खबर….
RTPCR Test बीआरडी मेडिकल कालेज ने कोरोना संक्रमण की जांच की नई राह दिखाई है। दूसरी लहर में बीआरडी मेडिकल कालेज में 60 मरीजों की आंख में लाली थी। उनके आंसुओं की आरटीपीसीआर जांच की गई। परिणाम वही आया जो नाक व गले के स्वाब की जांच में मिला।
गोरखपुर। RTPCR Test: आंसुओं ने कोरोना की आरटीपीसीआर जांच का नया मार्ग खोल दिया है। दूसरी लहर में बीआरडी मेडिकल कालेज में 60 मरीजों की आंख में लाली थी। उनके आंसुओं की आरटीपीसीआर जांच की गई। परिणाम वही आया जो नाक व गले के स्वाब की जांच में मिला। 20 में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई थी। शेष की रिपोर्ट निगेटिव आई। अब उन लोगों के आंसुओं की भी जांच की जाएगी जिनके गले व फेफड़ों में संक्रमण है लेकिन आंख में लाली या कोई दिक्कत नहीं है। यदि उनके आंसू से भी कोरोना की पुष्टि हुई तो आसुंओं से आरटीपीसीआर जांच को भी वैधता मिल सकती है।
आंख में लाली या संक्रमण के लक्षण पर ही लिया जाएगा आंसू का सैैंपल
मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभाग में आंखों लाली की समस्या लेकर आए मरीजों की फंगस जांच के लिए आंसू माइक्रोबायोलाजी विभाग में भेजे गए थे। फंगस के संकेत नहीं मिले तो विभाग ने उनकी आरटीपीसीआर से कोरोना की जांच की। 60 में से 20 मरीजों में संक्रमण की पुष्टि हुई। खास बात यह है कि इन सभी सीटी वैल्यू 25 से नीचे थी, अर्थात उनमें वायरस लोड अधिक था। इस घटना ने शोध का एक नया मार्ग प्रशस्त किया है। यह जांच उन मरीजों की हुई थी जिनकी आंख में लक्षण थे।
अब उन मरीजों के आंसुओं की होगी जांच, जिनकी आंखाें में नहीं होंगे लक्षण
माइक्रोबायोलाजी विभाग अब ऐसे मरीजों के आंसुओं की जांच की तैयारी कर रहा है, जिनके गले व फेफड़ों में संक्रमण हो लेकिन आंख में कोई लक्षण न हों। यदि इनके आंसुओं में भी कोरोना वायरस की पुष्टि हुई तो कोरोना जांच का एक नया तरीका विकिसित हो सकेगा। इस अध्ययन की रिपोर्ट इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को भेजी जाएगी। हालांकि अभी इसके बारे में आइसीएमआर काे जानकारी नहीं है। आइसीएमआर के प्लानिंग कोआर्डिनेटर डा. रजनीकांत ने कहा कि अभी हमने आंसुओं से आरटीपीसीआर जांच नहीं की है और न ही इस जांच को वैधता दी गई है।
दो मरीजों के एक-एक आंख की चली गई रोशनी
जिन 20 मरीजों के आंसुओं में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। उनमें से दो मरीजों की एक-एक आंख की रोशनी चली गई है। हालांकि डाक्टरों की सतर्कता के चलते दूसरी आंख की रोशनी बचा ली गई। इसमें एक महराजगंज और दूसरा गोरखपुर का निवासी है। दोनों की उम्र क्रमश: 45 व 50 वर्ष है। नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डा. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि दोनों मरीजों की स्थिति अब ठीक है। वे फालोअप में हैं।
आंसुओं से काेरोना की पुष्टि होने के बाद एक नए तरह के अध्ययन को बल मिला है। अब उन मरीजों के आंसुओं से कोरोना की जांच की जाएगी जिनके गले व फेफड़ों में संक्रमण है लेकिन आंख में लाली या अन्य कोई लक्षण नहीं हैं। नाक व गले के स्वाब के अलावा यदि उनके आंसुओं में भी संक्रमण मिला तो इसकी रिपोर्ट आइसीएमआर को भेजी जाएगी। कोरोना जांच का यह नया तरीका हो सकेगा। – डा. अमरेश सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलाजी विभाग, बीआरडी मेडिकल कालेज। साभार-दैनिक जागरण
आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें। हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post