Parliament Monsoon Session: दिल्ली और उससे सटे राज्य उत्तर प्रदेश में 15 से 20 साल से अधिक पुराने वाहनों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है. हालांकि उत्तर प्रदेश इस तरह के वाहनों का संचालन करने वाला देश का दूसरा राज्य है. वहीं तीसरे नंबर पर दिल्ली है. UP में 59,68,219 वाहन और दिल्ली में इन वाहनों की संख्या 51,17,874 है.
नई दिल्ली. दिल्ली (Delhi) और देश की आबोहवा को खराब करने वाले 4 करोड़ से ज्यादा वाहन ऐसे हैं जो कि 15 से 20 साल पुराने हैं. इन वाहनों को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport & Highways) ने डिजिटाइज भी किया है. मंत्रालय ने ऐसे वाहनों को प्रदूषण के लिहाज से भी बड़ी चुनौती माना है. केंद्रीय मंत्रालय ने इन पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स (Green Tax) लगाने की योजना भी तैयार की है. इस संबंध में सभी राज्यों को प्रस्ताव भी भेजा गया है. लेकिन अभी पूरी तरह से सभी राज्यों ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया हैं.
इस बीच देखा जाए तो केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment) की ओर से हाल ही में संसद के मॉनसून सत्र (Parliament Monsoon Session) में इस संबंध में जानकारी दी गई है. पर्यावरण मंत्रालय ने दावा किया है कि 1 अप्रैल, 2020 से ईंधन वाहनों के लिए बीएस-4 (BS-4) से सीधे बीएस-6 (BS-6) की व्यवस्था लागू हुई है.
वहीं, सार्वजनिक परिवहन (Public Tranaport) को बढ़ावा देने के लिए मेट्रो परियोजनाओं (Metro Projects) का विस्तार भी किया गया है. साथ ही सीएनजी, एलपीजी, पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की शुरुआत भी की गई है. ई-वाहनों (Electric Vehicles) को बढ़ावा देने के लिए भी लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसको लेकर फेम-2 योजना बनाई गई है.
मंत्रालय ने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया है कि देश भर की सड़कों पर चार करोड़ 23 लाख 71 हजार 311 ऐसे वाहन हैं जो कि अपनी तय आयु सीमा को समाप्त कर चुके हैं. तय नियमों के मुताबिक डीजल (Diesel) से चलने वाले वाहनों की आयु सीमा 10 वर्ष है जबकि पेट्रोल (Petrol) वाहन की आयु सीमा 15 साल निर्धारित की गई है. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में 15 से 20 साल पुराने वाहन सड़कों पर अभी दौड़ रहे हैं. यह सभी वाहन पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती माने जा रहे हैं.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय देशभर के वाहनों के आंकड़ों को कर चुका है डिजिटाइज्ड
इस बीच देखा जाए तो सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पूरे देश में ऐसे वाहनों के आंकड़ों को डिजिटाइज्ड कर चुका है. यह डिजिटल रिकॉर्ड केंद्रीयकृत वाहन डाटाबेस (Central Vehicle Database) पर आधारित है. हालांकि इनमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप के आंकड़े शामिल नहीं हैं. सड़क मंत्रालय के आंकड़ों कि माने तो 15 साल से ज्यादा पुराने जो 4 करोड़ से अधिक वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, उनमें से दो करोड़ वाहन 20 साल से अधिक पुराने हैं.
तय सीमा पूर्ण होने के बाद जारी नहीं होती RC व PUC
बताया जाता है कि केंद्रीयकृत वाहन डाटाबेस सिस्टम में देश के सभी राज्य अपने राज्यों के वाहनों का आंकड़ा उपलब्ध कराते हैं. परिवहन विभाग के मुताबिक यह वाहन तय सीमा पूर्ण होने के बाद अवैध हो जाते हैं क्योंकि इन वाहनों को वाहन पंजीकरण (RC) और प्रदूषण जांच प्रमाण-पत्र (PUC) आदि जारी नहीं किए जाते हैं.
पर्यावरण मंत्रालय ने संसद में अपने जवाब में यह भी स्पष्ट किया है कि केवल सिक्किम और लद्दाख ही देश में ऐसे दो राज्य हैं जहां पर इस अवधि को पार कर चुके वाहनों की संख्या मात्र 5,000 से भी नीचे है. सिक्किम में केवल 3,482 और लद्दाख में 3,980 वाहन 15 से 20 साल से पुराने वाहन चल रहे हैं.
दूसरी तरफ यह भी चौंकाने वाले आंकड़े भी सामने आये हैं कि दिल्ली और उससे सटे राज्य उत्तर प्रदेश में 15 से 20 साल से अधिक पुराने वाहनों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है. हालांकि उत्तर प्रदेश इस तरह के वाहनों का संचालन करने वाला देश का दूसरा राज्य है. वहीं तीसरे नंबर पर दिल्ली है.
उत्तर प्रदेश में 59,68,219 वाहन और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCT Delhi) में इन वाहनों की संख्या 51 लाख 17 हजार 874 है. वहीं, तय सीमा पार कर चुके सबसे ज्यादा संचालित वाहनों की संख्या वाला राज्य कर्नाटक है, जहां 73 लाख 20167 वाहन चल रहे हैं. बहीं, ऐसे वाहनों की संख्या पंजाब में 26,30,239, उत्तराखंड में 4,76,123 और तमिलनाडु में 36 लाख 32 हजार 945 वाहन शामिल हैं.
राज्यों की ओर से लगाया जाना है ग्रीन टैक्स, मंत्रालय भेज चुका है प्रस्ताव
केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने जनवरी 2021 में प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स (Green Tax) लगाने का प्रस्ताव पेश किया था. इस प्रस्ताव को राज्यों के पास भेज दिया गया था. राज्यों की सहमति के बाद इसे औपचारिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा. मौजूदा समय में कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश भिन्न दरों के आधार पर ग्रीन टैक्स लगा रहे हैं. साभार- न्यूज़18
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