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गोरखपुर। हेपेटाइटिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इससे सावधान हो जाने की जरूरत है। इसके कारण भी बदले हैं। पहले इंफेक्शन की वजह से हेपेटाइटिस के मामले ज्यादा आ रहे थे, अब मोटापा के कारण लिवर फैटी हो रहा है और उसके कारण लोग हेपेटाइटिस के शिकार हो रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में पांच में चार मामले इस तरह के आ रहे हैं, ज्यादातर में हेपेटाइटिस बी मिला है।
पीलिया से पीडि़त होते हैं 20 फीसद मरीज
पांच साल पहले सौ में एक-दो मरीज हेपेटाइटिस के आ रहे थे। अब इनकी संख्या पांच हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार हेपेटाइटिस वायरस है जो लिवर में सूजन पैदा करता है। इससे लिवर खराब होता है। उस पर दाग पड़ सकते हैं, वह सिकुड़ सकता है या लिवर कैंसर हो सकता है। 20 फीसद मरीजों को पीलिया भी हो जाता है। इस वायरस के सामान्यतया पांच प्रकार अभी तक सामने आए हैं- ए, बी, सी, डी व ई। इसमें बी व सी लंबे समय बाद प्रकट होते हैं जो लिवर कैंसर के कारण बनते हैं। इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने व उसकी रोकथाम के लिए डब्लूएचओ ने मई 2010 में विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाने की घोषणा की थी।
आसान हुई जांच
बीआरडी मेडिकल कालेज में फाइब्रो स्कैन मशीन लग गई है। हेपेटाइटिस के कारण लीवर में फाइब्रोसिस हो जाता है। पहले लीवर का टुकड़ा निकालकर उसकी बाहर जांच करानी पड़ती थी। अब फाइब्रो स्कैन मशीन लग जाने से लीवर का टुकड़ा नहीं निकालना पड़ता और कालेज में ही जांच हो जाती है।
कोरोना के एक फीसद मरीजों में था हेपेटाइटिस
बीआरडी मेडिकल कालेज के फिजिशियन व कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर चुके डा. राजकिशोर सिंह के अनुसार कोरोना के भर्ती हुए मरीजों में एक फीसद हेपेटाइटिस से भी पीड़ित थे। हालांकि इनमें से ज्यादातर को बचा लिया गया। कुल लगभग पांच हजार मरीज भर्ती हुए थे।
लक्षण
भूख न लगना
बार बार मिचली आना
पूरे शरीर में दर्द बने रहना
हमेशा थकान महसूस करना
जोड़ों में दर्द शुरू होना
पीलिया
कारण
हेपेटाइटिस संक्रमित व्यक्ति का रक्त, प्लाज्मा या प्लेटलेट्स चढ़ाने से
दूषित सीरिंज का इस्तेमाल करने से
हेपेटाइटिस सी संक्रमित से असुरक्षित यौन संबंध बनाने से
संक्रमित सुई से टैटू बनवाने, कान छेदवाने से
संक्रमित का रेजर या टूथब्रश इस्तेमाल करने से
नवजात बच्चे को मां से यह बीमारी हो सकती है
बचाव
खून या प्लाज्मा लेने के पहले देने वाले की हेपेटाइटिस जांच जरूरी है
टैटू गोदवाने से परहेज करें
प्रसव और आपरेशन से पहले हर मरीज की वायरल स्क्रीनिंग अनिवार्य रूप से कराएं
सुरक्षित यौन व्यवहार अपनाएं
हेपेटाइटिस मरीजों की डायलिसिस की सुविधा अलग से कराई जाए
लिवर फैटी होने का कारण मोटापा है लेकिन ऐसा नहीं है कि जो लोग मोटे हैं, उन सभी का लिवर फैटी हो जाएगा। इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन नियमित जांच जरूरी है, ताकि बीमारी समय से पता चल सके। समय से पता चल जाने पर 90 फीसद लोग ठीक हो जाते हैं। – डा. राजकिशोर सिंह, फिजिशियन, बीआरडी मेडिकल कालेज।
साभार-दैनिक जागरण।
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