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दुनिया पर बादशाहत कायम करने की मानसिकता रखने वाले चीनी ड्रैगन ने रूस अमेरिका और भारत को टक्कर देने के लिए दूसरे परमाणु मिसाइल बेस का निर्माण कर रहा है। चीन का यह दूसरा मिसाइल ठिकाना बीजिंग से 1200 मील पश्चिम में है।
बीजिंग, एजेंसी। राजधानी बीजिंग से 1200 मील पश्चिम में चीन द्वारा दूसरा परमाणु मिसाइल बेस बनाए जाने का पता चला है। सेटेलाइट तस्वीरों से इसकी पुष्टि होती है। यह ना केवल चीन के विशाल परमाणु शस्त्रागार का संकेत देता है बल्कि यह भी बताता है कि आर्थिक और तकनीकी महाशक्ति बनने के बाद वह हथियारों की होड़ में वाशिंगटन और मास्को से पीछे नहीं रहना चाहता है। अभी हाल ही में ड्रैगन द्वारा एक अन्य परमाणु मिसाइल बेस बनाए जाने का पता चला था। इसका निर्माण मार्च में शुरू हुआ था। खास बात यह है कि शिनजियांग प्रांत के पूर्वी हिस्से में हैं। यह स्थान उस हामी क्षेत्र में स्थित हिरासत शिविर से दूर नहीं है, जहां पर उइगर मुस्लिमों को रखा गया है। बता दें कि चीन ने पिछली सदी के छठे दशक में पहला परमाणु परीक्षण किया था। विशेषज्ञों के मुताबिक उसके पास लगभग 300 परमाणु हथियार हैं।
वाणिज्यिक जहाजों पर भारतीय कर्मियों पर प्रतिबंध से चीन का इन्कार
भारतीय मीडिया में छपी खबरों को किया खारिज- नाविकों के संघ ने केंद्रीय मंत्री को लिखा था पत्र
चीन ने मंगलवार को इस बात से इन्कार किया कि उसने भारतीय नाविकों (क्रू) वाले वाणिज्यिक जहाजों पर गैर-आधिकारिक प्रतिबंध लगा दिया है। चीन ने कहा कि उसने इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और इस बारे में खबरें ‘सच नहीं’ हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने इस बारे में पूछे जाने पर पत्रकारों से कहा कि संबंधित विभागों से बातचीत के बाद पाया गया कि चीन ने इस तरह के प्रतिबंध कभी नहीं लगाए। मैं तथ्यों की पड़ताल के बात इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि चीन ने कोई भी गैर-आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है। भारतीय मीडिया में कही गई इस तरह की बातें सही नहीं हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट में प्रवक्ता के बयान को पोस्ट किया गया है। बता दें कि हाल में आल इंडिया सीफेरर जनरल वर्कर्स यूनियन ने केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को एक पत्र लिखा था और चीन जाने वाले जहाजों पर भारतीय कर्मियों के प्रतिबंध को लेकर सरकार से हस्तक्षेप करने को कहा था। यूनियन ने हजारों कर्मियों का रोजगार बचाने में मदद की अपील की थी। यूनियन ने कहा कि कंपनियां चीन जानेवाले जहाजों में भारतीय कर्मियों की भर्ती नहीं कर रही हैं। साभार-दैनिक जागरण
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