देश कोरोना की दूसरी लहर से उबर ही रहा है कि एक और नया खतरा मंडराने लगा है। कोरोना के जिस स्ट्रेन की वजह से दूसरी लहर आई थी, वो स्ट्रेन अब नए बदलावों के साथ और भी घातक हो गया है। इस नए स्ट्रेन को डेल्टा प्लस नाम दिया गया है और कहा जा रहा है कि ये मूल वायरस के मुकाबले दोगुना तेजी से फैल सकता है। भारत में इस नए स्ट्रेन के 51 केस की पुष्टि हो चुकी है, जिसके बाद सरकार और हेल्थ एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है।
ये नया स्ट्रेन है क्या? कितना घातक है? इसके लक्षण क्या हैं? और क्या वैक्सीन इसके खिलाफ कारगर है? आइए जानते हैं…
डेल्टा प्लस क्या है?
दरअसल हर वायरस खुद को मजबूत बनाने के लिए अपनी मूल संरचना में बदलाव करता रहता है। यही बदलाव आगे चलकर वायरस के नए रूप को जन्म देते हैं। कोरोना वायरस भी कई बार खुद को बदल चुका है, जिसे हम लोग अलग-अलग वैरिएंट के नाम से जानते हैं।
भारत में कोरोनावायरस का डबल म्यूटेंट स्ट्रेन मिला था, जिसे डेल्टा नाम दिया गया था। इसी डेल्टा में हुए बदलाव के बाद जो नया वायरस बना है उसे डेल्टा प्लस नाम दिया गया है। इसे AY.1 और B.1.617.2.1 भी कहा जा रहा है।
डेल्टा प्लस से संक्रमित मरीजों में कौन से लक्षण देखे जा रहे हैं?
दूसरी लहर के दौरान कोरोना से संक्रमित मरीजों में जो लक्षण देखे गए थे, उससे मिलते-जुलते लक्षण ही डेल्टा प्लस वैरिएंट के भी हैं। इनमें खांसी, सर्दी, दस्त, बुखार, सिरदर्द, खुजली, सीने में दर्द, स्वाद न आना और सांस लेने में परेशानी जैसे सभी लक्षण शामिल हैं। फिलहाल पेट दर्द, भूख कम लगना और घबराहट जैसे नए लक्षण भी डेल्टा प्लस से संक्रमित मरीजों में देखे जा रहे हैं।
अब तक कहां-कहां मामले सामने आए?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर में 45 हजार सैंपल की टेस्टिंग की है, जिनमें 48 डेल्टा केसेस की पुष्टि हुई है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, केरल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा और जम्मू में डेल्टा प्लस के मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा 20 मामले महाराष्ट्र में मिले हैं। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने कई शहरों में लॉकडाउन के नियमों में सख्ती की है।
बाकी वैरिएंट से कितना अलग और खतरनाक
- कोरोनावायरस के ही डेल्टा वैरिएंट में हुए म्यूटेशन को K417N नाम दिया गया है। ये म्यूटेशन कोरोनावायरस के बीटा और गामा वैरिएंट्स में भी मिला था। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के अध्यक्ष डॉक्टर एनके अरोरा का कहना है कि कोरोना के बाकी वैरिएंट के मुकाबले, डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफड़ों तक जल्दी और आसानी से पहुंच जाता है।
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट तेजी से फैल सकता है। फेफड़ों को ज्यादा संक्रमित कर सकता है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट ड्रग के खिलाफ भी प्रतिरोध विकसित कर चुका है। यह कॉकटेल कोरोना पर एक जैसा असर करने वाली दो एंटीबॉडीज का मिश्रण है। साथ ही डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले 60% ज्यादा तेजी से फैल सकता है।
- WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि डेल्टा प्लस ओरिजिनल वायरस के मुकाबले कम से कम 2 गुना तेजी से फैल सकता है। इसका मतलब है कि इस वैरिएंट की वजह से वायरल लोड ज्यादा होगा, आसानी से फेफड़ों को डैमेज कर सकेगा और आप 2 की बजाय 4 लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
डेल्टा प्लस के खिलाफ वैक्सीन कितनी असरदार
- WHO ने कहा है कि फिलहाल जो वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही हैं वो डेल्टा प्लस की वजह से गंभीर संक्रमण को रोकने में कारगर हैं, लेकिन वायरस खुद को वैक्सीन से लड़ने के लिए तैयार भी कर रहा है।
- पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जो वैक्सीन लगाई जा रही है वो डेल्टा प्लस वायरस को रोकने में कारगर है। संस्था ने दुनियाभर में डेल्टा वैरिएंट के 160 मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की थी, जिसमें से 8 भारत के थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन पहले डोज के बाद 80% और दूसरे डोज के बाद 96% कारगर है।
- मध्यप्रदेश में डेल्टा प्लस वैरिएंट की वजह से 2 मौतें हुई हैं। इन दोनों ही लोगों ने वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लिया था। एक्सपर्ट इस बात से कयास लगा रहे हैं कि अगर इन लोगों ने वैक्सीन ली होती तो शायद संक्रमण इतना गंभीर नहीं होता।
- ICMR के डायरेक्टर डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा है कि भारत में जो वैक्सीन लोगों को दी जा रही है वो वायरस के अल्फा, बीटा और डेल्टा के खिलाफ तो कारगर है लेकिन डेल्टा प्लस के खिलाफ कितनी कारगर है ये जानने के लिए स्टडी की जा रही है।
क्या वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके लोगों को भी डेल्टा प्लस वैरिएंट से खतरा है?
राजस्थान में मई में एक 65 साल की महिला डेल्टा प्लस से संक्रमित पाई गई थी। स्वास्थ्यकर्मियों के मुताबिक, इस महिला को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके थे। साथ ही ये महिला पहले कोरोना से संक्रमित होकर ठीक भी हो चुकी है। इस मामले के आधार पर ये कहा जा सकता है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। हालांकि उनमें गंभीर बीमारी होने का खतरा कम होगा।
क्या डेल्टा-प्लस वैरिएंट को लेकर डरने की जरूरत है?
- फिलहाल नहीं। नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) डॉ. वीके पॉल का कहना है कि अब तक डेल्टा-प्लस वैरिएंट भारत में वैरिएंट ऑफ कंसर्न नहीं बना है। न ही इसे WHO ने अपने VOC लिस्ट में रखा है। भारत में सिर्फ इसकी मौजूदगी मिली है, उसी आधार पर ग्लोबल डेटा सिस्टम को रिपोर्ट किया गया है।
- पर दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने पिछले हफ्ते एक TV चैनल से कहा कि हम इस वायरस को हल्के में नहीं ले सकते। हमें यह समझना होगा कि वायरस बदल रहा है। वह जिंदा रहना चाहता है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंफेक्ट करना चाहता है। UK से सबक लेना चाहिए, जहां अनलॉक शुरू होते ही नए केस सामने आ रहे हैं। डेल्टा वैरिएंट और इसका नया रूप ज्यादा लोगों को इंफेक्ट कर रहा है। सावधान नहीं रहे तो डेल्टा प्लस वैरिएंट हमारे लिए भी वैरिएंट ऑफ कंसर्न बन जाएगा। भारत को UK से सबक लेना चाहिए, जहां केस तेजी से बढ़ रहे हैं।
वैक्सीनेशन ही एकमात्र उपाय
डेल्टा प्लस के बारे में फिलहाल ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। इसी वजह से दुनियाभर में अलग-अलग स्टडी की जा रही है। प्राइमरी नतीजों में ये सामने आया है कि वायरस भले ही खुद को बदल रहा हो, लेकिन वैक्सीन ही संक्रमण से बचने का एकमात्र रास्ता है। WHO ने भी कहा है कि वैक्सीन वायरस के संक्रमण को भले न रोक सके लेकिन मरीज को गंभीर बीमारी और मौत से बचा सकती है। साभार-दैनिक भास्कर
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