मध्यप्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में दावा किया है कि प्रदेश में ऑक्सीजन में कमी से एक भी मौत नहीं हुई। सरकार ने कोर्ट में लिखित रूप से बताया कि प्रदेश में ऑक्सीजन में कमी की वजह से 72 मौतें होने की बात गलत है। दरअसल, 10 मई को हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच के सामने महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव और अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव ने कोविड की 8वीं रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में सरकार का सफेद झूठ सामने आया है। सरकार की ओर से दावा किया गया कि प्रदेश में एक भी मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते नहीं हुई। जब ये मौतें हुईं तो अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध थी।
कोर्ट मित्र ने याचिका दायर की थी
दरअसल कोर्ट मित्र की ओर से हाईकोर्ट में याचिका के माध्यम से प्रदेश में अप्रैल में 15 बड़ी लापरवाही के बारे में बताया गया था। इसमें ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत होने के बारे में भी बताया गया था। इस दौरान सबसे अधिक 20 मौतें ग्वालियर और 10 मौतें भोपाल में होना बताया गया था।
जबलपुर में हुई 5 मौत के मामले में प्रशासन ने किया खेला
इससे पहले जबलपुर में 23 अप्रैल को गैलेक्सी हॉस्पिटल में अचानक ऑक्सीजन खत्म होने से एक-एक कर 5 कोविड संक्रमितों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया था। जब अस्पताल में मरीज दम तोड़ रहे थे, तो वहां का स्टाफ भाग निकला था।
पुलिस ने मौके पर पहुंच कर एक दूसरे अस्पताल के लिए जा रहे सिलेंडर को रुकवाया और खुद कंधे पर ढोकर अस्पताल तक भिजवाया। इससे 55 लोगों की जिंदगी बच गई थी। मामले को कांग्रेस के विधायकों ने भी प्रमुखता से उठाया था।
प्रशासन ने जांच कमेटी बनाई थी
कलेक्टर ने संयुक्त कलेक्टर शाहिद खान की अगुवाई में जांच कमेटी बनाई। कमेटी ने 9 मई को अपनी रिपोर्ट सौंपी। 10 मई को सीएम शिवराज सिंह जबलपुर में आने वाले थे। प्रशासन की ओर से जांच रिपोर्ट जारी की गई, उसमें चार बिंदुओं पर कमी पाई थी।
- अस्पताल में अनुमति से अधिक मरीज थे।
- रात में अस्पताल का मैनेजर नहीं था।
- ऑक्सीजन सुपरवाइजर प्रशिक्षित नहीं था।
- ऑक्सीजन समाप्त होने पर अस्पताल कर्मचारी भाग निकले थे।
13 मई की FIR में बदल गई जांच रिपोर्ट
13 मई को हेल्थ विभाग ने लार्डगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, तो मैनेजर और ऑक्सीजन सुपरवाइजर की सारी जवाबदारी तय करते हुए नामजद एफआईआर दर्ज करा दी। 20 मई को अस्पताल प्रबंधन में हाईकोर्ट से स्थगन आदेश लिया और 28 मई को फिर से कोविड मरीजों को भर्ती करने पर लगी रोक को हटा लिया गया।
रिपोर्ट में जबलपुर के तीन अस्पतालों के बारे में ये जिक्र
15 अप्रैल को लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म होने से एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। CMHO ने दावा किया था कि अस्पताल में 15 क्यूबिक वर्गमीटर क्षमता का एयर सेपरेशन यूनिट लगी है। 50 डी टाइप सिलेंडर रात में लगे थे।
16 अप्रैल को सुखसागर मेडिकल कॉलेज में 4 मौतों के बारे में भी दावा किया गया है कि वहां 200 डी टाइप जम्बो सिलेंडर था। गैलेक्सी में पांच मौतों के बारे में दावा किया गया है कि कलेक्टर के आदेश पर गठित कमेटी की रिपोर्ट में ही बताया गया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म नहीं हुई थी।
ऑक्सीजन की कमी से कब-कहां कितनी मौतें हुई थीं
- 02 अप्रैल को जेपी हॉस्पिटल भोपाल- 02 मौत
- 08 अप्रैल को जिला अस्पताल खरगोन- 01 मौत
- 8 अप्रैल को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर- 04 मौत
- 9 अप्रैल को माधव नगर सरकारी हॉस्पिटल उज्जैन- 05 मौत
- 13 अप्रैल को पीजीबीएम हॉस्पिटल भोपाल- 01 मौत
- 16 अप्रैल को सुखसागर मेडिकल कॉलेज जबलपुर- 04 मौत
- 15 अप्रैल को लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल जबलपुर- 01 मौत
- 18 अप्रैल को शहडोल मेडिकल कॉलेज- 06 मौत
- 20 अप्रैल को पीपुल्स मेडिकल कॉलेज भोपाल- 10 मौत
- 23 अप्रैल को गैलेक्सी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल जबलपुर- 05 मौत
- 25 अप्रैल ग्वालियर जयआरोग्य हॉस्पिटल- 20 मौत
- 25 अप्रैल को जिला अस्पताल छतरपुर- 06 मौत
- 27 अप्रैल को जिला अस्पताल मुरैना- 03 मौत
- 27 अप्रैल को जिला अस्पताल कटनी- 02 मौत
- 27 अप्रैल को ही कमला राजा हास्पिटल ग्वालियर- 02 मौत
शासन की ओर से ये रिपोर्ट पेश की गई-
- साभार-दैनिक भास्कर
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