UP News: कांग्रेस के दिग्गज प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा मोना ने जितिन प्रसाद पर जबरदस्त हमला बोला है. मोना मिश्रा कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता भी हैं. उन्होंने कहा कि जितिन ने उस भाजपा को ज्वाइन किया है, जिसे वे ब्राह्मण विरोधी करार देते रहे हैं.
लखनऊ. कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) भाजपा (BJP) में शामिल हो गए हैं. उनकी गिनती ऊंची हैसियत वाले ब्राह्मण नेताओं में होती रही है. हालांकि उनकी इस हैसियत के पीछे उनके पिता की राजनीतिक विरासत ज्यादा जिम्मेदार रही है. लम्बे समय से ब्राह्मणों की राजनीति करने वाली कांग्रेस से एक ब्राह्मण नेता अलग हो गया है. पिछले एक साल से जितिन यूपी में ब्राह्मणों को गोलबन्द करने के लिए ब्राह्मण चेतना परिषद को सक्रिय किये थे. अब उनके जाने के बाद कांग्रेस के दूसरे ब्राह्मण नेता क्या सोचते हैं?
कांग्रेस के दिग्गज प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा मोना ने जितिन प्रसाद पर जबरदस्त हमला बोला है. मोना मिश्रा कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता भी हैं. उन्होंने कहा कि जितिन ने उस भाजपा को ज्वाइन किया है, जिसे वे ब्राह्मण विरोधी करार देते रहे हैं. यूपी में कमलेश तिवारी हत्याकांड के साथ साथ कई मौकों पर जितिन ने यूपी की योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी करार दिया था. अब उन्हीं के खेमे में खड़े हैं. जितिन को कांग्रेस पार्टी से जितना लेना था, ले चुके हैं. अब पार्टी की उन्हें क्या जरूरत? जिस ब्राह्मण चेतना परिषद के जितिन प्रसाद संरक्षक हैं, उसके ट्विटर हैंडल पर अनगिनत ऐसे ट्वीट पड़े हैं, जिसमें इस बात का जिक्र है कि सूबे की योगी सरकार में ब्राह्मणों पर अत्याचार थम नहीं रहा है. अब सवाल उठता है कि जितिन प्रसाद अपने इस अभियान को आगे कैसे बढ़ायेंगे? जाहिर है उन्हें अपना स्टैण्ड बदलना पड़ेगा.
कांग्रेस से एक ब्राह्मण नेता के चले जाने से पार्टी के बाकी ब्राह्मण नेताओं में तो खुशी ही होगी. इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि जितिन के जाने-आने से कोई फर्क थोड़ी पड़ता है. वे अपने काम से काम रखते थे. कौन सा वो पार्टी का काम करते थे. वे लम्बे समय से शरीर से कांग्रेस के साथ थे लेकिन मन से नहीं. वे पिछले एक साल से ब्राह्म्णों को गोलबन्द करने के लिए ब्राह्मण चेतना परिषद चला रहे हैं. लेकिन, जब सत्ता में थे तब ब्राह्मणों के लिए क्या कर लिये? जितिन साल भर से ये सारा कुछ इसलिए कर रहे थे जिससे अपनी कुछ राजनीतिक ताकत दिखाकर किसी पार्टी को अपनी ओर खींच सके. बाकी वो कभी पॉलिटिकल व्यक्ति लगे ही नहीं. बीजेपी ने उन्हें इसलिए थाम लिया क्योंकि योगी सरकार पर लगते रहे ब्राह्मण विरोधी के आरोपों को थोड़ा हल्का किया जा सके.
लगातार हार के बाद कांग्रेस में हाशिए पर थे
जितिन प्रसाद दो बार के सांसद रहे हैं. उन्हें मनमोहन सिंह सरकार में चार मंत्रालयों में केन्द्रीय मंत्री रहने का सौभाग्य भी मिला था. संकट ये खड़ा हो गया कि 2009 के बाद से वे कोई चुनाव नहीं जीत पाये. 2009 लोकसभा हारे. 2017 यूपी विधानसभा हारे. फिर 2019 लोकसभा हारे. जितिन कांग्रेस में भले ही थे लेकिन पिछले दो सालों के दरम्यान उन्हें पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में सक्रियता से नहीं देखा गया. साभार- न्यूज़18
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