कानपुर के कोविड हॉस्पिटल में भर्ती कोरोना संक्रमित नई तरह की गंभीर समस्या की चेपट में आ रहे हैं उनमें मनोरोग जैसे लक्षण मिल रहे हैं। डॉक्टर और स्टॉफ को बच्चों की तरह समझाकर मरीजों का उपचार करना पड़ रहा है।
कानपुर। कोरोना संक्रमण का असर अब दिमाग तक पहुंचने लगा है, आइसीयू और एचडीयू में भर्ती मरीजों में नई तरह की समस्या डॉक्टरों को देखने को मिल रही है। किसी को अपना नाम नहीं पता है तो परिवार को नहीं पहचान रहा है। डॉक्टरों और स्टॉफ से भी बच्चों जैसी हरकते कर रहे हैं। यह समस्या एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट, कानपुर) के न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल के आइसीयू और एचडीयू रोगियों में सामने आई है।
मरीजों पर नकारात्मक प्रभाव का असर
कोरोना संक्रमण की वजह से इंटेसिव केयर यूनिट (आइसीयू) और हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) में भर्ती मरीजों में नकारात्मक प्रभाव आने लगे हैं। उनमें मनोरोग जैसे लक्षण मिले हैं। कोई अपना नाम भूल गया है तो किसी को पत्नी, मां और पिता के बारे में कुछ पता नहीं है। डाक्टर और स्टाफ के पूछने पर उलटा जवाब दे रहे हैं। खाना खाने और दवाओं के सेवन के लिए कहने पर नाराज हो जाते हैं। कुछ के स्वभाव में तो बहुत ज्यादा गुस्सा है। उन्हें नींद की गोलियां देनी पड़ रही हैं। इस स्थिति को आइसीयू साइकोसिस कहते हैं। यह समस्या ज्यादातर युवाओं और फील्ड वर्क करने वालों में सामने आ रही है। इस नई गंभीर समस्या को समझाने के लिए नीचे दिए दो केस काफी हैं…।
Case-1 : कानपुर के 39 वर्षीय बीमा सलाहकार कुछ दिन पहले एचडीयू में भर्ती हुए थे। उनका आक्सीजन लेवल कम था। अब स्थिति सामान्य हो रही है। दवाओं और इंजेक्शन से काफी आराम मिला, लेकिन एकाग्रता की कमी आ गई है। कुछ भी सही तरीके से समझ नहीं पा रहे हैं। डाक्टर व अन्य स्टाफ को उन्हें बच्चों की तरह समझाना पड़ता है।
केस एक
Case-2 : कन्नौज के 44 साल के रेलवे इंजीनियर न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनका आक्सीजन स्तर 85 तक पहुंच गया था। अब पहले से बेहतर हैं। डाक्टर उनसे कुछ पूछते हैं तो वह अटपटे जवाब देते हैं। पत्नी और स्वजन का नाम तक भूल गए हैं। खाना खाने और दवा के लिए कहने पर भड़क जाते हैं।
जानिए क्या होता है आइसीयू साइकोसिस
गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कालेज के मनोरोग विभाग के प्रो. गणेश शंकर ने बताया कि जान जाने की नौबत वाली बीमारी होने पर दिमाग बेहोशी की हालत में चला जाता है। रोगी को कुछ भी समझ में नहीं आता है। इसे आइसीयू साइकोसिस या डेलिरियम कहते हैं।
यह भी होती हैं समस्याएं
रोगी को समय, जगह और व्यक्ति की जानकारी नहीं हो पाती। बीमारी के कारण पहले से ही डरे होने से आइसीयू का माहौल और प्रभावित करता है। आइसीयू में हमेशा लाइट जलने के साथ मॉनीटर, वेंटिलेटर आदि की आवाजों से होती है परेशानी।
ऐसे मरीजों की काउर्संलग और इलाज के लिए मनोरोग विशेषज्ञ को दिखाया जा रहा है। उनको स्थिति सामान्य होने का अहसास दिलाया जा रहा है। इससे कुछ में सुधार हुआ है। –प्रो. अनिल वर्मा, आइसीयू इंचार्ज, कोविड हॉस्पिटल साभार-दैनिक जागरण
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