आमतौर पर बैंक का मतलब पैसों के लेन-देन से होता है परंतु वाराणसी (Varanasi) में एक अलग किसम का बैंक खुला है। वहां पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए आपको पैसे मिलेंगे। यहां आप प्लास्टिक का कचरा डिपॉजिट करे सकेंगे, जिसके बदले आपको सामान और पैसा मिलेगा। उस बैंक का नाम ‘प्लास्टिक वेस्ट बैंक’ (Plastic Waste Bank) है। इस बैंक में केवल प्लास्टिक के कचरे से ही लेन-देन किया जाएगा। यहां कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक वेस्ट जमाकर झोला या फेस मास्क पा सकता है।
प्लास्टिक के रिसाइकिल की हो रही है कोशिश
प्लास्टिक वेस्ट बैंक में आप जितनी मात्रा में प्लास्टिक डिपॉजिट (Plastic Deposit) करेंगे, उसके वजन के हिसाब से ही आपको पैसे भी मिलेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक़, यह पूरा सिस्टम (Plastic Waste Bank) पीपीई मॉडल पर काम कर रहा है, जिसमें केजीएन और यूएनडीपी की अहम भूमिका है। नगर आयुक्त की माने तो वाराणसी के आशापुर में 10 मिट्रिक टन का प्लांट लगाया गया है। वहां पर 150 सफाई मित्र लगे हुए हैं, उनका कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन है फिर भी इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में प्लास्टिक के रिसाइकिल के लिए प्रयास जारी है।
प्लास्टिक के कचरे को आशापुर स्थित प्लांट पर जमा किया जाता है
केजीएन कंपनी के निदेशक साबिर अली (Sabir Ali) बताते हैं कि एक किलो पॉलिथिन के बदले 6 रुपये दिए जाते हैं और यह 8 से 10 रुपये में बिकता है। हर रोज़ शहर में 2 टन से ज़्यादा पॉलिथिन (Polythene) इकट्ठा हो जाता है। साथ ही इस्तेमाल की गई पीने की बॉटल मतलब पीईटी 25 रुपये किलो में बिकती है। प्रोसेसिंग होने के बाद यह 32 से 38 रुपये किलो बिकता है। कार्ड बोर्ड आदि सभी रिसाइकिल होने वाले कचरे को बैंक (Plastic Waste Bank) खरीदता है। इन सभी प्लास्टिक के कचरे को आशापुर स्थित प्लांट पर जमा करने के बाद पीइटी बॉटल को हाइड्रोलिक बैलिंग मशीन में दबाकर बंडल बनाकर प्रॉसेस के लिए भेजा दिया जाता है।
पर्यावरण दूषित होने का सबसे बड़ा कारण पॉलिथीन है
दूसरे प्लास्टिक के कचरे को भी अलग करके रिसाइकिल के लिए कानपुर सहित दूसरे जगहों पर भेज दिया जाता है। वहां मशीनों द्वारा प्लास्टिक के कचरे से प्लास्टिक की पाइप, पॉलिस्टर के धागे, जूते के फीते जैसी दूसरी सामग्री बनाई जाती है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पॉलिथीन (Polythene) हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही खतरनाक है। प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को तेजी से दूषित कर रहा है। प्लास्टिक को जलाने पर कार्बन के मालिक्यूल निकलते हैं, जो छोटे और हल्के होते हैं और यह हमारे नाक के अंदर घुस जाते हैं। इससे मनुष्य के सांस लेने की क्षमता कम होने लगती हैं।
प्लास्टिक के इस्तमाल को रोकने के लिए बनाए गए नए नियम
एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लास्टिक नष्ट नहीं होता है। इसे सिर्फ रिसाइकिल किया जा सकता है। यह ना केवल मनुष्यों के लिए बल्कि जानवरों के लिए भी बहुत खतरनाक माना जाता है। प्लास्टिक के बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने विकसित देशों के द्वारा विकासशील देशों में प्लास्टिक उत्पादों के निर्यात के नियमों में बहुत से बदलाव किए हैं। धनी और विकासशील देशों में प्लास्टिक के इस तरह के उत्पाद नहीं भेजे जाएंगे, जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है या रिसाइकिल (Plastic Waste Bank) करना बहुत मुश्किल है। साल 2021 में प्लास्टिक के खतरे से निपटने के लिए नए अंतरराष्ट्रीय नियम लागू हो गए हैं।
गरीब देशों के वजह से बड़े पैमाने पर फैल रहा है प्रदूषण
यह नियम 1 जनवरी 2021 से लागू किया जा चुका है। संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर आने वाले 5 साल में समंदर को स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त बनाने का लक्ष्य है। यूरोपीय संघन ने रिसाइकिल नहीं होने वाले प्लास्टिक कचरों को विकासशील देशों में भेजे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। गरीब देशों में प्लास्टिक का ठीक से ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है। उसका बहुत बड़ा हिस्सा या तो ज़मीन में चला जाता है या समंदर में फेंक दिया जाता है। उनके पास प्लास्टिक उत्पादों के ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं होती है। 1 जनवरी साल 2021 से सिर्फ ऐसे ही उत्पाद इस तरह के देशों को भेजे जा रहे हैं, जो रिसाइकिल किए जा सकें। यूरोपीय संघ से ओईसीडी देशों को कड़े नियमों को लागू करने के लिए कहा है। साभार-दी लॉजिकली
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