नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान अब सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर के बाद दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को भी बंद करने की तैयारी कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज यह जानकारी दी। टिकैत ने कहा कि अब हम दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को बाधित करेंगे। कमेटी को अभी तारीख तय नहीं करनी है।
जानकारी के अनुसार, गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद करीब दो माह से चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानू) और भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) ने 27 जनवरी को अपना धरना वापस लेते हुए चिल्ला बॉर्डर खाली कर दिया था। हिंसा के बाद भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने कहा था कि ट्रैक्टर परेड के दौरान जिस तरह से दिल्ली में पुलिस के जवानों के ऊपर हिंसक हमला हुआ तथा कानून-व्यवस्था की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं, इससे वे काफी आहत थे।
इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर प्रदर्शनकारी किसानों ने कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे को बाधित कर दिया था। सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक एक्सप्रेस-वे को विभिन्न जगहों पर पांच घंटे के लिए रोक दिया था। किसान यूनियनों ने 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया है। 26 मार्च को केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को चार महीने पूरे हो रहे हैं।
पिछले महीने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार और संसद उन किसानों का बहुत सम्मान करती है जो तीनों कृषि कानूनों पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। यही कारण है कि सरकार के शीर्ष मंत्री लगातार उनसे बात कर रहे हैं। हमारे मन में किसानों के लिए बहुत सम्मान है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि कृषि से संबंधित कानून संसद द्वारा पास किए जाने के बाद कोई भी मंडी बंद नहीं हुई है। इसी तरह एमएसपी भी बना हुआ है। जो लोग पुरानी कृषि विपणन प्रणाली जारी रखना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं।
गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली की तीन सीमाओं – टीकरी, सिंघु और गाजीपुर पर पिछले साल नवंबर से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। किसानों और सरकार ने गतिरोध समाप्त करने के लिए पिछले कुछ महीनों में कई बार बातचीत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका है। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार इन तीनों नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।साभार-हिन्दुस्तान
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