सस्पेंड लाइसेंसों को ‘सुविधा शुल्क’ लेकर लौटा रही लाइसेंस शाखा
ट्रैफिक पुलिस मोबाइल पर बात करने और नशे में वाहन चलाने पर लाइसेंस भले ही 3 माह के लिए सस्पेंड करके आरटीओ भेज देती हो लेकिन आरटीओ की लाइसेंस शाखा ‘सुविधा शुल्क’ लेकर लाइसेंस लॉक नहीं करती बल्कि लौटा भी देती है। यह हाल तब है जब कोर्ट का आदेश है कि शराब पीकर वाहन चलाने पर उसका डीएल सस्पेंड करके 3 माह के लिए व्यक्ति को ड्राइविंग के अयोग्य कर दिया जाए। भास्कर ने लाइसेंस शाखा का स्टिंग ऑपरेशन किया तो कई मामले सामने आए।
गौरतलब है जब्त लाइसेंस को आरटीओ लॉक कर देता है, ताकि 3 माह तक चालक वाहन नहीं चला पाए। तीन माह बाद जुर्माना लेकर लाइसेंस लौटाने का प्रावधान है। इस बारे में भास्कर ने आरटीओ राकेश शर्मा को अवगत करवाया तो पहले तो वे माने नहीं। बाद में जब भास्कर ने दस्तावेज सौंपे और आरटीओ ने जांच के आदेश दिए।
भास्कर के सवाल पर आरटीओ ने पूछा तो एजेंट ने लिखित में जवाब दिया- गार्ड से 500 रु. में लिया
आरटीओ राकेश शर्मा ने लाइसेंस शाखा से जब्त गए लाइसेंसों की सूची मांगी तो कर्मचारियों ने चारों लाइसेंस के नाम हटाकर सूची सौंप दी। आरटीओ ने सभी जब्त लाइसेंसों की संपूर्ण फाइल मंगवाई और जब्त लाइसेंस लाने को कहा तो चारों के दस्तावेज ही गायब मिले तो आरटीओ ने उसी दिन भास्कर की ओर से उपलब्ध करवाए गए चारों प्रकरणों के दस्तावेज फाइल में लगा दिए और डीटीओ संजय शर्मा और लिपिक अमित तनवानी को तलब कर लिया।
उसके बाद गायब दस्तावेज की कॉपी देखकर हैरान डीटीओ ने लाइसेंस ढूंढ़ने के लिए समय मांगा, लेकिन तय समय में भी लाइसेंस आरटीओ के समक्ष पेश नहीं किए तो आरटीओ ने जांच शुरू करवा दी। उसके बार डीटीओ संजय व लिपिक अमित एक एजेंट सीताराम मीणा को ले आए और आरटीओ के समक्ष पेश कर दिया। उसने लिखित में स्वीकारा कि गार्ड शिवदानसिंह के मार्फत उसने 500 रुपए देकर जब्त लाइसेंस संबंधित व्यक्ति को दे दिया। हालांकि तीन और प्रकरणों की जांच शुरू की गई है, जिसमें डीटीओ के नजदीकी माने जाने वाले गार्ड जगवीर सिंह की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
पैसे लेकर दिए डीएल, अब कर्मचारी घर जाकर मांग रहे
केस 1- वाहन चालक गोपाल जैन निवासी घाटगेट, लाइसेंस नंबर आरजे 14-414511 का लाइसेंस ट्रैफिक पुलिस ने जब्त किया गया। लाइसेंस शाखा ने 28 जनवरी को गोपाल को सुनवाई के लिए बुलाया और 1 हजार रुपए लेकर लाइसेंस सुपुर्द कर दिया। जबकि यह लाइसेंस अप्रैल तक सस्पेंड रहना चाहिए था।
केस 2- वाहन चालक चेतनसिंह, निवासी गणेशपुरी कच्ची बस्ती दिल्ली बाइपास, लाइसेंस नंबर आरजे 14-2007 0646182 जब्त था। लाइसेंस शाखा ने संबंधित व्यक्ति को 28 जनवरी को सुनवाई के लिए बुलाया। डीएल की डील कर 1300 रुपए में लाइसेंस दे दिया गया, जबकि लाइसेंस अप्रैल तक सस्पेंड था।
केस 3- वाहन चालक अशोक कुमार, निवासी अमृतपुरी घाटगेट आगरा रोड, लाइसेंस नंबर आरजे 14- 5120964531 का लाइसेंस ट्रैफिक पुलिस ने जब्त किया था। लाइसेंस शाखा ने 15 फरवरी को सुनवाई के लिए बुलाया और 2 हजार रुपए लेकर लाइसेंस दे दिया। यह लाइसेंस मई तक सस्पेंड रहना चाहिए था।
जब्त लाइसेंसों को समय से पहले लौटाने की जांच की जा रही है। लाइसेंस डीटीओ को एक हफ्ते का समय दिया गया है, ताकि वे पक्ष रख सकें। एक व्यक्ति पकड़ा भी गया है, जिसने एजेंट के माध्यम से लाइसेंस लौटाया था। उसने लिखित माफी भी मांगी है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-राकेश शर्मा, आरटीओ
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