पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के एक कार्यकर्ता गोपाल मजूमदार और उनकी 85 वर्षीय माँ की टीएमसी के लोगों के हाथों कथित पिटाई के बाद आरोप-प्रत्यारोप तेज होने लगा है.
बीजेपी ने घायल बुजुर्ग महिला की तस्वीरें सोशल मीडिया पर जारी करते हुए सवाल किया है कि क्या यह बंगाल की बेटी नहीं है.
ध्यान रहे कि ममता बनर्जी की अगुवाई वाले टीएमसी ने अबकी चुनावों से पहले नारा दिया है कि बंगाल अपनी बेटी को ही चाहता है.
इस मुद्दे पर तेज होती राजनीति के बीच टीएमसी ने मार-पीट के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि बीजेपी नेता पारिवारिक कलह का भी सियासी फायदा उठाने का प्रयास कर रही है.
क्या है मामला
आखिर यह मामला क्या है? कोलकाता से सटे उत्तर दमदम इलाके में शुक्रवार देर रात को तीन कथित टीएमसी समर्थक बीजेपी कार्यकर्ता गोपाल मजूमदार के घर का दरवाजा तोड़ कर भीतर घुस गए और उन लोगो ने गोपाल और उनकी 85 साल की मां शोभा मजूमदार की बेतरह पिटाई की.
गोपाल बताते हैं, “टीएमसी के लोगों ने बीजेपी के समर्थन में आरोप में रिवॉल्वर के बट से मेरी पीठ पर प्रहार किया. इससे मैं बेहोश हो गया.”
इस हमले के पीछे टीएमसी के गुंडों का ही हाथ है. मैंने पुलिस में इसकी शिकायत की है. हमले में घायल शोभा देवी बताती हैं, “हमले के तीन दिनों बाद भी उनके पूरे बदन में दर्द है. मुझे बैठने में भी तकलीफ हो रही है.”
हमले की सूचना मिलने पर बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता गोपाल के घर पहुंचे. उसके बाद उनलोगों ने निमता थाने पहुंचकर एफआईआर दर्ज कराई. थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और गोपाल और उनकी मां को अस्पताल ले गई. वहां प्राथमिक उपचार के बाद उनको घर भेज दिया गया.
बीजेपी ने इसके लिए टीएमसी को कठघरे में खड़ा करते हुए घायल महिला की तस्वीरों के साथ सोशल मीडिया पर प्रचार शुरू कर दिया है.
बीते दिसंबर में बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी सवाल करते हैं कि क्या यह महिला बंगाल की बेटी नहीं है? बीजेपी का आरोप है कि इलाके में पार्टी के कई और कार्यकर्ताओं पर भी हमले हुए हैं.
शुभेंदु कहते हैं, “ममता बनर्जी खुद के बंगाल की बेटी होने का दावा करती हैं. लेकिन उनके शासनकाल में ही बंगाल की माताएँ सबसे असुरक्षित हैं. बंगाल की मां-बहनों के सम्मान और सुरक्षा के लिए बदलाव जरूरी है.”
बीजेपी अभियुक्तों की शीघ्र गिरफ्तारी के लिए निमता थाने का घेराव कर चुकी है. इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग और महिला आयोग से भी की गई है.
लेकिन दूसरी ओर, टीएमसी ने इस पारिवारिक विवाद का नतीजा बताया है.
इलाके में पानीहाटी सीट से टीएमसी विधायक निर्मल घोष कहते हैं, “यह घटना पारिवारिक विवाद का नतीजा है. टीएमसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है.”
संसदीय कार्य मंत्री और टीएमसी के महासचिव पार्थ चटर्जी कहते हैं, “बीजेपी नफरत की राजनीति का सहारा ले रही है. वह बुजुर्ग महिला पारिवारिक हिंसा की शिकार हुई है. लेकिन बीजेपी इसका सियासी फायदा उठाने का प्रयास कर रही है.”
पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है. लेकिन अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है.
उत्तर 24-परगना जिला टीएमसी के प्रवक्ता रथीन घोष कहते हैं, “पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और अभियुक्तों को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा. लेकिन राजनीति या टीएमसी से इस मामले का कोई संबंध नहीं है.”साभार-बीबीसी न्यूज़
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