केंद्रीय वित्तीय वर्ष 2021-22 में 15 साल पुराने वाहनों की लिमिट को 5 साल और बढ़ाकर 20 साल करने की घोषणा की गई है. जिससे ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में इनका रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा. लेकिन दिल्ली में पहले से ही 15 साल पुराने वाहनों को रजिस्टर्ड करने की मनाही है. ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला दिल्ली को लागू करना कुछ पेचीदा बन सकता है.
नई दिल्ली. दिल्ली में हर साल 5 लाख से ज्यादा वाहन सड़कों पर उतरते हैं. इसके चलते दिल्ली में पॉल्यूशन की समस्या भी हमेशा खड़ी रहती है, जबकि दिल्ली एनसीआर में 15 साल से ज्यादा पुराने निजी व कमर्शियल वाहनों को चलाने की अनुमति नहीं है. बावजूद इसके हमेशा पॉल्यूशन का लेवल बड़ा ही रहता है. ऐसे में अब हाल ही में 15 साल पुराने वाहनों की लिमिट को 5 साल और बढ़ाकर 20 साल करने की घोषणा की गई है. जिससे ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में इनका रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा, लेकिन दिल्ली में पहले से ही 15 साल पुराने वाहनों को रजिस्टर्ड करने की मनाही है. ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला दिल्ली को लागू करना कुछ पेचीदा बन सकता है.
उधर, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग विभाग की ओर से देशभर में नए आदेश लागू किए जाएंगे. इसको लेकर अभी बजट भाषण में घोषणा जरूर कर दी गई है, लेकिन अभी इसको अमलीजामा पहनाने में वक्त लगेगा. लेकिन 1 अप्रैल से इसको लेकर राज्य को इस पर तेजी से काम करना पड़ सकता है. राज्य अपनी भौगोलिक स्थिति के मुताबिक इसको लेकर नियम बना सकते हैं.
दिल्ली में सिर्फ BS6 मानक वाले ही वाहन होते हैं रजिस्टर्ड
दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग के मुताबिक दिल्ली में जहां डीजल के 10 साल पुराने और पेट्रोल से संचालित 15 साल पुराने वाहनों का रजिस्ट्रेशन पूरी तरीके से बंद है. वहीं, अब दिल्ली में सिर्फ बीएस6 मानक वाले ही वाहन रजिस्टर्ड किए जाते हैं. ऐसे में 15 साल की अवधि को 20 साल करने से दिल्ली के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है.
मौजूदा हालात में देखा जाए तो 15 साल से ज्यादा पुराने निजी वाहनों की एंट्री अभी भी दिल्ली NCR में पूरी तरीके से बंद है. यही नियम कमर्शियल वाहनों पर भी लागू होता है, लेकिन कमर्शियल वाहनों के लिए यह अवधि 10 साल निर्धारित है. लेकिन दिल्ली से इतर दूसरे राज्यों में रजिस्ट्रेशन अवधि 10 या 15 साल पुराने वाहनों के संचालन के नियम अलग-अलग हैं.
कई राज्यों में 20 साल पुराने वाहन भी सड़कों पर दौड़ते हैं
बात की जाए राजस्थान, झारखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों की तो वहां पर 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों का धड़ल्ले संचालन होता है. इतना ही नहीं झारखंड जैसे राज्य की बात की जाए तो वहां तो 17 से 20 साल पुराने तक वाहन भी खूब सड़कों पर दौड़ते हैं. वहीं, इन वाहनों का ग्रामीण इलाकों में बिना किसी रोक-टोक के खूब संचालन होता है.
दिल्ली में सरकारी वाहनों पर नहीं कसा जाता शिकंजा
दिल्ली NCR की ही बात की जाए तो इस अवधि को पार कर चुके वाहनों की आवाजाही मिलीभगत से अभी भी खूब हो रही है. लेकिन इनका अधिकृत रूप से रजिस्ट्रेशन नियमों के तहत नहीं किया जाता है. इसकी वजह से बिना फिटनेस के ही यह वाहन सड़कों पर ट्रांसपोर्ट विभाग और दिल्ली पुलिस की मिलीभगत से भी खूब दौड़ते हैं.
जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के अलावा अन्य के सरकारी वाहन भी बिना फिटनेस के ही सड़कों पर खूब दौड़ते हैं. इन पर लगाम लगाने वाली एजेंसियां सरकारी वाहनों की वजह से इनकी धरपकड़ या जब्त करना भी जरूरी नहीं समझती हैं.
हर साल दिल्ली में 5 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड होते हैं नए वाहन
दिल्ली आर्थिक सर्वेक्षण (Delhi’s Economy Survey) 2018-19 की रिपोर्ट की बात करें तो दिल्ली की सड़कों पर हर साल 5.81 परसेंट वाहनों की संख्या सड़कों पर बढ़ती है. इसका मतलब यह है कि दिल्ली की सड़कों पर हर साल 500000 से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड होते हैं.
मार्च 2018 तक दिल्ली में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 109.86 लाख से थी. वहीं, दोपहिया वाहन 7078426 जिसमें मोटरसाइकिल और स्कूटी आदि भी शामिल हैं. वहीं, कार और जीप की बात करें तो 3246637 और ऑटो रिक्शा 113074 रजिस्टर्ड थे. रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या अब एक अनुमान के मुताबिक 11 मिलियन को भी पार कर चुकी है.
वर्ष 2019-20 की रिपाेर्ट अभी जारी होना बाकी
2017-18 की तुलना में मार्च 2018 में 7.12 फ़ीसदी ज़्यादा रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक पैसेंजर व्हीकल्स में 27.56 फ़ीसदी ज्यादा ग्रोथ रिकॉर्ड किया गया है. वहीं, वर्ष 2019-20 की रिपाेर्ट अभी जारी होना बाकी है. इसके अलावा दिल्ली की सड़कों पर वह वाहन भी चलते हैं जो NCR में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इन सभी की वास्तविक संख्या दिल्ली सरकार के पास नहीं है.साभार- न्यूज़18
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