गाजियाबाद। शहर की सफाई के नाम पर नगर निगम फिर से करोड़ों रुपये की नई अत्याधुनिक मशीनें खरीदने की तैयारी कर रहा है। पहले भी सफाई के नाम पर मशीनों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। मशीनें तो आईं थी, लेकिन वो सड़कों पर नहीं कागजों पर ही दौड़ीं। वे मशीनें अब कहां हैं इसकी जानकारी तो पार्षद भी नहीं दे पा रहे हैं। पार्षदों का अरोप है कि निगम स्वच्छता के नाम पर सरकारी फंड को ठिकाने लगा रहा है।
हर साल वित्त आयोग की ओर से नगर निगम को अच्छा खासा फंड मिलता है। इस फंड को सरकार की ओर से निर्धारित की गईं मदों में ही खर्च किया जाता है। इसमें स्वच्छता, जल निकासी, पेयजल व्यवस्था आदि शामिल है। स्वच्छता के नाम पर नगर निगम हर साल वाहन और मशीनें खरीदता है। करीब तीन साल पहले नगर निगम ने शहर के लिए पांच रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदी थी। दावा किया गया था कि प्रत्येक जोन के मुख्य मार्गों की सफाई रोजाना इन मशीनों से की जाएगी।
कुछ दिनों तक यह मशीनें सड़कों पर काम करते दिखाई दीं, लेकिन इसके बाद ‘गायब’ हो गईं। मुख्य मार्गों की सफाई भी कर्मचारी कर रहे हैं, लेकिन मशीनों के संचालन पर मोटा खर्च किया जा रहा है। एक पार्षद का दावा है कि मशीनें सड़क पर नहीं दौड़ती लेकिन उनके नाम पर प्रतिदिन 75 लीटर डीजल की खपत दिखाई जाती है।
अब नगर निगम पांच और रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदने की तैयारी कर रहा है। इन मशीनों की खरीद पर नगर निगम 2.70 करोड़ रुपये खर्च करेगा। इसके लिए 15वें वित्त आयोग से मिला फंड खर्च किया जाएगा और बीते दिनों महापौर की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस खरीद को मंजूरी भी मिल चुकी है।
खड़े-खड़े बेकार हो चुकी एक मशीन
नगर निगम ने पूर्व नगर आयुक्त आरबी मौर्य के कार्यकाल में भी एक रोड स्वीपिंग मशीन खरीदी थी। इस मशीन का ट्रायल जस्सीपुरा मोड़ से शुरू किया गया था। यह मशीन कुछ दिन चली, उसके बाद गैराज में खड़ी कर दी गईं। खड़े-खड़े यह मशीन बेकार हो चुकी थी, अब कहां और किस दशा में है पार्षदों को भी इसकी जानकारी नहीं है।
नगर निगम ने हेलीकॉप्टर बनाने वाली एक कंपनी से नाला सफाई करने वाली दो मशीनें खरीदी थीं। इसके साथ कई तरह के अलग-अलग अटैचमेंट भी खरीदे गए थे। निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने दावा किया था कि एक मशीन ट्रांस हिंडन एरिया में और दूसरी पुराने शहर में चलाई जाएगी। करीब पांच साल बीत जाने के बाद भी ये मशीनें सड़कों पर नहीं दिखाई दी।
ट्रैक्टरों की खरीद में भी हुई थी फंड की बर्बादी
नगर निगम ने 2016 में 12 ट्रैक्टर खरीदे थे। इनके साथ कूड़ा उठाने के अटैचमेंट भी खरीदे गए थे। प्रत्येक ट्रैक्टर के साथ खरीदे गए अटैचमेंट की कीमत करीब 2 लाख रुपये थी। निगम ने बाद में यह अटैचमेंट उतरवाकर कबाड़ में डाल दिए। करीब 20 लाख रुपये बर्बाद कर दिए गए।
निगम पार्षद राजेंद्र त्यागी ने कहा कि रोड स्वीपिंग मशीनें नगर निगम के लिए ‘सफेद हाथी’ हैं। शहर में इस लायक सड़कें ही नहीं हैं जिनकी मशीनों से सफाई की जा सके। इन मशीनों के नाम पर बड़ा ‘खेल’ हो रहा है। प्रत्येक मशीन को रोजाना 75 लीटर डीजल दिया जा रहा है, लेकिन सड़कों पर चलती हुई दिखाई नहीं देती हैं। नई मशीनें खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं है।
निगम पार्षद रजाकिर सैफी ने कहा कि यह मशीनें सरकार से मिले फंड को ठिकाने लगाने के लिए खरीदी जाती हैं। शुरुआत के चार-पांच दिन इन्हें चलाया जाता है, फिर गैराज में खड़ा कर दिया जाता है। जनता और सरकार के पैसों को बर्बाद किया जा रहा है। कार्यकारिणी बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा।साभार-अमर उजाला
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