चालक रहित मेट्रो महज दस मिनट में मेट्रो डिपो से ट्रैक पर पहुंच जाएगी। जबकि चालक युक्त मेट्रो को ट्रैक तक आने में करीब दो घंटे का समय लगता है। वहीं, जरूरत पड़ने पर इसकी फ्रीक्वेंसी भी बढ़ाई जा सकती है। यात्रियों का दबाव बढ़ने से तीन मिनट की जगह इस रूट पर डेढ़ मिनट में मेट्रो चलाई जा सकेगी। अधिकारियों का कहना है कि मेट्रो का संचालन संचार आधारित रेल नियंत्रण प्रणाली से होगा। अभी मजेंटा लाइन पर इसकी शुरुआत की गई है। आगे पिंक लाइन पर मजलिस पार्क से शिव विहार के बीच भी इस तरह की ट्रेनों का संचालन होगा।
मेट्रो अधिकारियों के मुताबिक, चालक युक्त मेट्रो को डिपो से ट्रैक पर आने में करीब दो घंटे लगते हैं। इसकी वजह यह है कि मेट्रो में पहुंचने के बाद चालक ट्रेन का इंजन चालू करने के साथ उसकी इलेक्ट्रिकल, मेकेनिकल समेत दूसरे सभी सिस्टम का निरीक्षण करता है। संतुष्ट होने पर वह मेट्रो को ट्रैक पर लेकर आता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब दो घंटे का वक्त लगता है।
इसके विपरीत चालक रहित मेट्रो में पूरा सिस्टम तकनीक पर आधारित रहेगा। इंजन स्टार्ट ही तब होगा, जब सारा सिस्टम दुरुस्त हो। चालू होने के दस मिनट के अंदर मेट्रो ट्रैक पर पहुंच जाएगी। दूसरी तरफ ट्रेन की फ्रीक्वेंसी भी बढ़ाई जा सकती है। इसकी वजह यह है कि इसमें दो ट्रेनों के बीच की दूरी को कम किया जाएगा। इससे जरूरत पड़ने पर दूसरी ट्रेन डेढ़ मिनट में प्लेटफार्म पर पहुंचेगी। मेट्रो की रफ्तार भी चालक रहित होने पर ज्यादा होगी।
जानें क्यों है खास-
. ट्रेन स्टार्ट, रोकने और दरवाजे खोलने-बंद करने में चालक की जरूरत नहीं होगी। ट्रेन की प्रोग्रामिंग इस तरह होगी और कंट्रोल रूम से उसे कमांड ऐसा मिलेगा, जिससे वह खुद ही चलेगी, रुकेगी और इसके दरवाजे खुल जाएंगे।
. ट्रेन में लगे होंगे सीसीटीवी कैमरे, इनसे ली गई तस्वीरों का सेंसर करेगा आकलन, खतरे की आशंका होने पर कंट्रोल रूम को जाएगा संकेत, मेट्रो का परिचालन होगा नियंत्रित।
. जिन स्टेशनों से ट्रेन गुजरेगी, उनके प्लेटफॉर्म पर स्क्रीन डोर मिलेंगे। इससे यात्री ट्रैक पर नही जा सकेंगे। यह डोर तभी खुलेंगे जब प्लेटफॉर्म पर मेट्रो आकर खड़ी हो जाएगी।
. चालक रहित ट्रेन का कंट्रोल रूम दिल्ली के बाराखंबा रोड स्थित मेट्रो भवन में है। किसी भी तरह की दिक्क्त होने पर यात्री अलार्म बटन दबाकर ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर से जुड़ सकते हैं।
. ट्रेन के अंदर व बाहर दोनों ओर सीसीटीवी कैमरे हैं। अलग-अलग जगह पांच कैमरे ट्रेन के बाहर होंगे। इनसे ली गई तस्वीरें सेंसर के जरिए कंट्रोल रूम तक जाएंगी।
. यात्रियों को वाई-फाई सुविधा मिलेगी।
. यात्रा पहले से सुरक्षित होगी। इमरजेंसी सर्विस समेत हर तरह के ऑपरेशन को रिमोट कंट्रोल से संचालित किया जाएगा। 50 मीटर दूर ट्रैक पर कोई वस्तु है तो स्वत: बैक्र लग जाएंगे।
. 20 फीसदी ऊर्जा कम खपेगी और 10 फीसदी स्पीड बढ़ जाएगी।
. महिलाओं एवं बुजुर्गों की सीटों को अलग रंग में रखा गया है।
. ड्राइवर केबिन निकाल देने के बाद ज्यादा यात्री सफर कर पाएंगे। छह डिब्बों वाली ट्रेन में पहले की तुलना में 240 यात्री ज्यादा (कुल 2280 पैसेंजर) आएंगे।
. कुल 81 (486 कोच) ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेनें दिल्ली मेट्रो ने खरीदी हैं।साभार-अमर उजाला
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