राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी अगले केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और बिमल जुल्का अगले मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक आवास पर मंगलवार शाम डेढ़ घंटे चली बैठक के बाद इन दोनों नामों पर फैसला हुआ। इसके साथ ही आंध्रा बैंक के पूर्व सीइओ सुरेश एन पटेल सीवीसी में नए सतर्कता आयुक्त होंगे। पंजाब लोक सेवा आयोग की पूर्व सदस्य अमिता पांडोव नई केंद्रीय सूचना आयुक्त होंगी।
केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के तीन पदों पर नियुक्तियां फिलहाल टाल दी गई हैं। इन पर फैसला बाद में होगा। सीवीसी और सीआईसी को चुनने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई स्टैच्यूटरी कमेटी की बैठक में तब विवाद की स्थिति बन गई, जब लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने तीन नामों पर आपत्ति जताई।
वित्त सचिव राजीव कुमार का नाम सीवीसी की सर्च कमेटी और फिर प्रस्तावित नियुक्ति पैनल में भी होने पर अधीर रंजन चौधरी ने आपत्ति दर्ज कराई। सूत्रों के मुताबिक, चौधरी ने मोदी से सवाल किया कि कोई व्यक्ति अपने ही चयन के लिए सर्च कमेटी का सदस्य कैसे हो सकता है? चौधरी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री ने उनकी आपत्ति को सही मानते हुए अचानक राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी का नाम नए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के लिए प्रस्तावित किया। चौधरी ने इस पर भी आपत्ति जताई और कहा कि जिस नाम पर सर्च कमेटी ने विचार ही नहीं किया, उसे किसी गुण-दोष पर विचार किए बिना इतने बड़े पद पर नियुक्त किया जा सकता है? प्रधानमंत्री मोदी और कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने उनकी आपत्ति को दरकिनार करते हुए बहुमत के फैसले से कोठारी की नियुक्ति पर मुहर लगा दी।
सुरेश पटेल के नाम पर भी विरोध
बैठक में तीसरा विवाद सुरेश पटेल के नाम पर हुआ। छंटनी प्रक्रिया को पूरी तरह दोषपूर्ण करार देते हुए अधीर रंजन चौधरी ने सतर्कता आयुक्त के पद पर सुरेश पटेल के नाम का विरोध करते हुए कहा कि जब पीएम राजीव कुमार का नाम पैनल में आने को प्रक्रियागत खामी मानते हैं तो पटेल की नियुक्ति कैसे की जा सकती है? स्टेच्यूटरी कमेटी में शामिल मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उनकी इस आपत्ति को भी सिरे से खारिज कर दिया और पटेल की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी।
मुख्य सूचना आयुक्त के एक और केंद्रीय सूचना आयुक्त के चार पदों पर नियुक्ति के प्रस्ताव को दोषपूर्ण करार देते हुए चौधरी ने कमेटी को बताया कि जब एजेंडा में उन्हें नामों के पैनल ही मुहैया नहीं कराए गए तो वे बिना सोचे समझे किसी नाम पर कैसे फैसला कर सकते हैं? चौधरी ने दावा किया कि उनकी आपत्तियों को खारिज करते हुए कमेटी ने बहुमत के आधार पर दो नियुक्तियां कर दीं, जबकि तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों को फिलहाल टाल दिया।
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