उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन ने बिजली दरों में फिर से बढ़ोतरी की है। चार से 66 पैसा प्रति यूनिट की अचानक बढ़ोतरी के पीछे कोयला और तेल के दाम में हुई वृद्धि को कारण बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार यूपीपीसीएल ने ये दरें बिना विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के बढ़ाई है। जानकारी के अनुसार जनवरी के बिल में ही बढ़ी दरों को लागू करने का निर्देश दिया गया है। इस बीच अचानक बिजली दरें बढ़ने पर उपभोक्ता परिषद उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग पहुंच गया है। इस मामले में उपभोक्ता परिषद ने जनहित याचिका दाखिल की है, जिस पर सुनवाई जारी है।
आपको बता दें कि इससे पहले सितंबर 2019 में राज्य में बिजली दरों में बढ़ोतरी की गई थी। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी आदेशों के अनुसार शहरी और कॉमर्शियल क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए भी बिजली की दरों में इजाफा कर दिया था। आदेश के अनुसार शहरी क्षेत्र में जहां लगभग 12 फीसदी की बढ़ोतरी की है, वहीं औद्योगिक क्षेत्र में ये इजाफा करीब 10 फीसदी का किया गया है। इसके अलावा सरकार ने ग्रामीण इलाकों में फिक्स चार्ज 400 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया है। प्रदेश में आम लोगों-किसानों के विरोध के बाद भी बिजली की दरों में 10 से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है।
कहा गया कि दो साल बाद बिजली की दरों में ये बढ़ोतरी की गई है। इससे पहले वर्ष 2017 में योगी सरकार बनने के बाद निकाय चुनाव समाप्त होते ही बिजली की दरों में औसतन 12.73 फीसदी का इजाफा किया गया था।
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