सुप्रीम कोर्ट से 200 रियल एस्टेट कंपनियों को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने रियल एस्टेट कंपनियों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें इन कंपनियों ने इनसॉल्वेंसी एंड करप्सी कोड (IBC) संशोधन के खिलाफ याचिका दायर कर संशोधन को गैर कानूनी ओर असंवैधानिक कहा था। अदालत के इस फैसले से लाखों घर खरीदारों को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस निर्णय को बरकरार रखा जिसके तहत IBC में संशोधन कर होम बायर्स को फाइनेंशियल क्रेडिटर्स का दर्जा दिया गया था।
दिवालिया कानून के संशोधनों को सही बताया
अदालत के इस निर्णय से घर खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी। अदालत की तरफ से दिवालिया कानून के संशोधनों को सही बताया है। संशोधन में घर खरीदारों को वित्तीय संस्थाओं के कर्जदार के बराबर दर्जा दिया गया है। इससे घर खरीदारों को भी लोन देने वाले बैंकों के साथ फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा दिया गया है। इससे इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग में होमबायर्स की सहमति की जरूरत होगी। साथ ही सुप्रीमकोर्ट ने होम बायर्स को अधिकार दिया गया है कि वे क्रेडिटर्स की कमेटी में अपना पक्ष रख सकें और रियल एस्टेट कंपनी के खिलाफ दिवालिया घोषित करने का प्रस्ताव पेश कर सकें।
शीर्ष अदालत की तरफ से आईबीसी कानून में केंद्र की तरफ से किए गए बदलाव में किसी प्रकार के संशोधन से इनकार कर दिया गया है। अब तक NCLT में बैंक कर्ज की वसूली के लिए किसी बिल्डर कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया शुरू करा सकते थे। इससे मिले पैसों पर उनका हक होता था। अब छोटे फ्लैट खरीदारों को भी हक मिलेगा। ऐसे में घर निवेश करने वालों को भी कर्जदाता का दर्जा मिलेगा।
व्हाट्सएप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post