संविधान के अनुच्छेद 370 तथा 35ए हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के विभाजन के खिलाफ बयान देने को लेकर जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला पर बिहार में देशद्रोह के मुकदमे किए गए हैं। ये मुकदमे मुजफ्फरपुर और बेतिया के कोर्ट में दर्ज किए गए हैं। उन पर मुजफ्फरपुर में दर्ज मुकदमे में बिहार के मंत्री श्याम रजक को भी आरोपी बनाया गया है।
आपको बता दें कि सोमवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लागू संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370 ) के प्रावधानों में बदलाव का फैसला किया। राष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने आर्टिकिल 35ए (35A) को भी हटा दिया। साथ ही जम्मू-कश्मीर को दिल्ली की तर्ज पर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाते हुए लद्दाख को उससे अलग कर दिया। विरोधी इसके खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।
अनुच्छेद 370 पर बयानबाजी को लेकर मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में पीडीपी प्रमुख व जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित अन्य के खिलाफ सदर थाना में लहलादपुर पताही निवासी अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने परिवाद दायर किया है। कोर्ट मामले के ग्रहण के बिंदु पर 17 अगस्त को सुनवाई करेगा। ओझा ने पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती के साथ पीडीपी सांसद नजीर अहमद लवाय, सांसद मोहम्मद फैयाज, नेशनल कांग्रेस के उपाध्यक्ष व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व अटर्नी जेनरल सोली सोराबजी व बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक को आरोपित किया है। आरोपितों का बयान को उल्होंने असंवैधानिक और देशद्रोह का मामला बताया है।
उधर, पश्चिमी चंपारण के बेतिया में भी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है। दोनों पर राष्ट्रीय एकता, अखंडता व लोक शांति भंग करने के आरोप हैं। परिवादी नगर थाने के बसवरिया निवासी अधिवक्ता मुराद अली ने कई राजनेताओं को भी लपेटा है। इसके लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित-प्रसारित खबरों को साक्ष्य बनाया गया है। आरोप है कि अनुच्छेद 370 का विरोध भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा और अवमानना पैदा करने वाला है। यह विरोध धर्म, मूलवंश, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा आदि के आधार पर भारतीयों और जम्मू कश्मीर वासियों के बीच शत्रुता बढ़ाने वाला है। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने परिवाद को जांच के लिए न्यायिक दंडाधिकारी केके शाही के कोर्ट में भेज दिया है। इसकी अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी।
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