उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने गाज़ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर, मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर और शामली के सभी उद्यमियों को ईंधन के रूप में सीएनजी अपनाने के आदेश दिए हैं। कोयले, लकड़ी, डीजल और अन्य साधनों से सीएनजे पर शिफ्ट करने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया गया है।
बोर्ड के रीज़नल मैनेजर उत्सव शर्मा ने बताया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार गाज़ियाबाद और आसपास के सभी जिलों में लगे उद्योगों में सॉलिड फ्यूल (कोयला, लकड़ी, डीजल आदि) के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ये प्रतिबंध उन सभी क्षेत्रों में लागू होगा जहां पीएनजी सप्लाई की व्यवस्था है। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले उद्योगों पर क्या कार्यवाही होगी, मगर उद्यमियों को सीएनजी पर शिफ्ट करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक अकेले गाज़ियाबाद जिले में ही 200 से ज्यादा इकाइयों में सॉलिड फ्यूल का इस्तेमाल हो रहा है। शर्मा ने बताया कि फिलहाल हम उन क्षेत्रों में लगे उद्योगों की सूची बना रहे हैं जहां पीएनजी की पाइपलाइन उपलब्ध है। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया है कि नोएडा के सभी औद्योगिक सैक्टरों में पीएनजी की सप्लाई उपलब्ध है जबकि गाज़ियाबाद के कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में ही पीएनजी की पाइपलाइन बिछी हुई है।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सर्दी के मौसम में बढ़ते प्रदूषण की समस्या का समाधान निकालने के लिए ग्रेडेड रेस्पोंस प्लान लागू किया जा चुका है। इस प्लान के तहत प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के मुताबिक उपाय सुझाए गए हैं। यह प्लान नवंबर 2018 से प्रभाव में आ गया था। उस समय सॉलिड फ्यूल इस्तेमाल करने वाले उद्योगों को एक सप्ताह के लिए बंद करने के आदेश दिए गए थे। प्रदूषण विभाग ने गाज़ियाबाद जिले में प्रदूषण फैलाने वाली 316 इकाइयां चिह्नित की हैं, इनमें से 210 इकाइयां ईंधन के रूप में सॉलिड फ्यूल और बायोमास का इस्तेमाल कर रही हैं।
प्रदूषण की जांच के लिए 70 इंजीनियरों की नियुक्ति
जिला मजिस्ट्रेट डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने गाज़ियाबाद में प्रदूषण कर रही औद्योगिक इकाइयों को चिह्नित करने के लिए 70 इजीनियरों की नियुक्ति की है। ये सभी इंजिनयर फिलहाल जिले में विभिन्न विभागों में तैनात हैं। आपको बता दें कि वसुंधरा स्थित उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में प्रदूषण नियंत्रण के लिए केवल चार अधिकारी ही तैनात हैं।
डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने बताया कि प्रदूषण बोर्ड में कर्मचारियों की कमी को देखते हुए जीडीए और पीडबल्यूडी के 70 इजीनियरों को प्रदूषण जांच की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी दी गई है। इन सभी अधिकारियों को प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े नियम-क़ानूनों की जानकारी देने के लिए यूपीपीसीबी द्वारा विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे औद्योगिक इकाइयों में जा कर प्रदूषण के स्तर की जांच कर सकें। बोर्ड की ओर से उन्हें आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
कम समय मिलने पर उद्यमियों ने जताई चिंता
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के बाद पीएनजी पर शिफ्ट करने के लिए मजबूर हुए उद्यमियों का कहना है कि बोर्ड ने उन्हें केवल 15 दिन में पीएनजी पर शिफ्ट करने का समय दिया है जोकि बहुत कम है। गाज़ियाबाद इंडस्ट्रीज फ़ैडरेशन के महासचिव अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि 15 दिनों के भीतर सभी इकाइयों को पीएनजी में शिफ्ट करना बहुत मुश्किल काम है। बहुत से उद्यमियों को ईंधन के रूप में पीएनजी के इस्तेमाल के विषय में पर्याप्त तकनीकी जानकारी नहीं है। बेहतर होता कि आदेश पारित करने से पहले, सरकार उद्यमियों को पीएनजी के इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षित करती। इसके साथ हमारी मांग है कि आगरा और फ़िरोज़ाबाद की तरह गाज़ियाबाद में भी उद्यमियों को पीएनजी के इस्तेमाल पास सब्सिडी दी जाए।
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