भारतीय वायुसेना की एक प्रमुख और प्रेरणास्त्रोत महिला अधिकारी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह, अपनी निष्ठा, साहस, और नेतृत्व क्षमता के लिए जानी जाती हैं। उनका जीवन भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को साबित करता है और युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन चुका है। हाल ही में भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में आतंकियों के खिलाफ की गई एयरस्ट्राइक में उनकी भूमिका ने उन्हें और भी सम्मानित किया है। आइए, जानते हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह के अद्वितीय सफर के बारे में।
सपने की शुरुआत: नाम से जुड़ी नियति
व्योमिका सिंह का नाम ही उनकी नियति का परिचायक है। “व्योमिका” का अर्थ है “आकाश में रहने वाली”, और यही आकाश उन्हें हमेशा आकर्षित करता रहा। जब वे कक्षा छह में थीं, तो उनके सहपाठियों ने उनके नाम के अर्थ के बारे में चर्चा की थी, और तब उन्हें यह एहसास हुआ कि वह पायलट बन सकती हैं, आसमान में उड़ सकती हैं। इसी दिन से व्योमिका के दिल में पायलट बनने का सपना पलने लगा।
पायलट बनने की दिशा में पहला कदम: NCC में भागीदारी
व्योमिका के सपने को आकार मिला जब उन्होंने नेशनल कैडेट कोर (NCC) में शामिल होने का निर्णय लिया। यह कदम उन्हें वर्दी पहनने और सेना में जाने के लिए प्रेरित करता है। अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से उन्होंने वायुसेना में कदम रखा और खुद को साबित किया।
शैक्षिक यात्रा और भारतीय वायुसेना में प्रवेश
व्योमिका ने अपनी शिक्षा में इंजीनियरिंग की, और इसके बाद भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में कमीशन प्राप्त किया। 18 दिसंबर 2019 को उन्हें फ्लाइंग ब्रांच में परमानेंट कमीशन मिला, और वे भारतीय वायुसेना में एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त हुईं। वे अपने परिवार की पहली सदस्य थीं, जिन्होंने सशस्त्र बलों में सेवा दी, और इसके साथ ही उन्होंने इतिहास रचा।
वायुसेना में उत्कृष्ट कार्य: 2500 घंटे से अधिक की उड़ान
व्योमिका सिंह ने अब तक 2500 घंटे से अधिक की उड़ान भरी है और भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर चेतक और चीता को उड़ाकर देश के सबसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में अपनी सेवाएं दी हैं। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में उन्होंने कई ऑपरेशनों का नेतृत्व किया। इन इलाकों में खराब मौसम, ऊंची ऊंचाइयों और दुर्गम स्थानों की समस्याओं के बावजूद उन्होंने कुशलता से हेलिकॉप्टर मिशनों का संचालन किया।
साहसिक अभियानों में भूमिका
व्योमिका सिंह केवल ऑपरेशनल मिशनों में ही नहीं, बल्कि साहसिक अभियानों में भी सक्रिय रूप से भागी हैं। वर्ष 2021 में उन्होंने एक त्रिसेना महिला पर्वतारोहण अभियान में भाग लिया, जिसमें भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना की महिलाएं एक साथ आईं। यह अभियान भारतीय महिलाओं के साहस और समर्पण का प्रतीक बन गया और वायुसेना प्रमुख समेत वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों द्वारा इसकी सराहना की गई।
अरुणाचल प्रदेश में बचाव अभियान
एक प्रमुख मिशन में, अक्टूबर-नवंबर 2020 के दौरान, व्योमिका सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में बचाव अभियान का नेतृत्व किया। इस मिशन में उनकी टीम ने ऊंचाई, खराब मौसम और सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी सूझबूझ और साहस से कई लोगों की जान बचाई। इस अभियान ने उनकी पेशेवर क्षमता और नेतृत्व कौशल को और भी मजबूत किया।
भारत में महिला सशक्तिकरण की प्रतीक
विंग कमांडर व्योमिका सिंह न केवल भारतीय वायुसेना की एक आदर्श पायलट हैं, बल्कि उन्होंने महिलाओं के लिए एक नया मानक स्थापित किया है। उनकी यात्रा यह साबित करती है कि अगर महिला सशक्तिकरण की सही दिशा में काम किया जाए, तो कोई भी बाधा उनके रास्ते में नहीं आ सकती।
उनकी कहानी न केवल भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को प्रगति के मार्ग पर ले जाती है, बल्कि यह उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उनके साहस और नेतृत्व ने यह साबित कर दिया है कि महिला सैनिक भी कठिन से कठिन परिस्थितियों में अपनी भूमिका निभा सकती हैं, और वह भी पुरुषों से कम नहीं।
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