पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा एक बिलियन डॉलर का राहत पैकेज देने की मंजूरी, एक ऐसा कदम है जिसने न केवल पाकिस्तान की आर्थिक परिस्थितियों को उजागर किया है, बल्कि भारत और अन्य वैश्विक एजेंसियों के बीच भी विवादों का कारण बना है। भारत ने इस पैकेज का विरोध करते हुए कहा कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड इस बात का गवाह है कि उसने कभी भी प्राप्त कर्ज का उपयोग अपनी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने के लिए नहीं किया, बल्कि इसका एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद को बढ़ावा देने में खर्च किया है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति: एक गहरी संकट में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस समय नाजुक है। आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर बेहद कमजोर है। जहां 2022-23 में पाकिस्तान की विकास दर -0.2 फीसदी रही, वहीं 2023-24 में केवल 2.5 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद जताई गई है। यह दर अपेक्षाकृत बहुत कम है और पाकिस्तान की स्थायी आर्थिक समस्याओं को दर्शाती है। 2024 तक पाकिस्तान का कुल बाहरी कर्ज बढ़कर 130 बिलियन डॉलर हो चुका है, जो देश के वित्तीय संकट को और गहरा करता है।
IMF के बार-बार के ऋण और पाकिस्तान का उधारी पैटर्न यह बेलआउट पाकिस्तान के लिए आईएमएफ से प्राप्त 24वां ऋण है, जो यह दिखाता है कि पाकिस्तान आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए लगातार विदेशी कर्ज पर निर्भर रहा है। इन कर्जों का प्रमुख उद्देश्य पाकिस्तान के वित्तीय घाटे को पाटना और तत्काल राहत प्रदान करना है, लेकिन इनसे कभी भी स्थायी सुधार देखने को नहीं मिला है।
कर्ज, गरीबी और महंगाई का बढ़ता दबाव पाकिस्तान में कर्ज का बोझ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में पाकिस्तान का ऋण-से-जीडीपी अनुपात 60 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। इसके अलावा, गरीबी दर बढ़कर 40.5 प्रतिशत हो गई है और महंगाई दर ने 2023 में 38 प्रतिशत तक की छलांग लगाई। हालांकि, हाल के महीनों में महंगाई कुछ कम हुई है, लेकिन यह देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
2024 के वैश्विक भूख सूचकांक में पाकिस्तान को 127 देशों में 109वां स्थान मिला है, जो देश की गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को उजागर करता है।
जलवायु परिवर्तन का संकट पाकिस्तान में 2022 की बाढ़ ने भी बड़ी तबाही मचाई थी। 33 मिलियन लोग विस्थापित हुए और 1,700 से अधिक लोग मारे गए, साथ ही लगभग 30 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। जर्मनवॉच द्वारा 2022 में पाकिस्तान को सबसे अधिक जलवायु-प्रभावित राष्ट्र करार दिया गया था, और आईएमएफ तथा विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पाकिस्तान की जीडीपी 2050 तक 18-20 प्रतिशत तक घट सकती है।
भारत का विरोध भारत ने पाकिस्तान को आईएमएफ द्वारा राहत पैकेज देने पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि वह प्राप्त धनराशि का उपयोग सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है। भारत ने इस फैसले से जुड़े आईएमएफ के बोर्ड में मतदान से दूर रहने का निर्णय लिया, यह दर्शाते हुए कि पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने से पहले उसकी आंतरिक गतिविधियों और उसके दुरुपयोग की संभावनाओं पर गंभीर विचार किया जाना चाहिए।
पाकिस्तान का भविष्य और सुधार की आवश्यकता पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति और सरकार की नीतियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आईएमएफ और विश्व बैंक बार-बार पाकिस्तान को सुधार की दिशा में कदम उठाने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा टैक्स प्रणाली को सुधारने, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण करने और वित्तीय स्थिरता के लिए आवश्यक कदम उठाने में नाकामी दिखाई है।
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