भारतीय सेना में महिलाओं का योगदान लगातार बढ़ रहा है, और इस क्रम में लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम विशेष रूप से उभर कर सामने आता है। सोफिया न केवल एक उत्कृष्ट सैन्य अधिकारी हैं, बल्कि उन्होंने अपने करियर में कई ऐतिहासिक मील के पत्थर भी स्थापित किए हैं। उनकी यात्रा केवल उनके व्यक्तिगत साहस और समर्पण की कहानी नहीं है, बल्कि यह भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान का प्रतीक भी है।
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना की निर्णायक कार्रवाई
हाल ही में भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेते हुए पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया। इस अभियान का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा गया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया, जो कि आतंकवादियों के खिलाफ एक शक्तिशाली संदेश था। इस मिशन को लेकर लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी, जो भारतीय सेना के सिग्नल कोर में एक प्रमुख अधिकारी हैं, ने कहा कि यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के पीड़ितों के लिए न्याय की तरह है।
मुलाकात: एक सैन्य अधिकारी का जीवन और अनुभव
गुजरात के एक सैन्य परिवार में जन्मी सोफिया कुरैशी ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय सेना में 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) से की थी। सेना में आने का उनका सपना बचपन से ही था, जो एक सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार से जुड़ा हुआ था। सोफिया ने विभिन्न काउंटर-इंसर्जेंसी अभियानों में भाग लिया, जिनमें जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य शामिल था।
संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में योगदान
सोफिया कुरैशी को शांति अभियानों का भी अनुभव है। 2006 में, उन्हें कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में मिलिट्री ऑब्जर्वर के रूप में तैनात किया गया। इस मिशन के दौरान, उन्होंने युद्ध विराम की निगरानी की और मानवीय मिशनों में सहायता की। उनकी यह भूमिका न केवल उनके सैन्य करियर का एक महत्वपूर्ण अध्याय था, बल्कि इसने उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने भारतीय सेना के इतिहास में कई नई राहें खोली हैं। मार्च 2016 में, उन्होंने ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया। यह अभ्यास पुणे में आयोजित हुआ, जिसमें आसियान देशों के अलावा भारत, जापान, चीन, रूस, अमेरिका, कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं ने हिस्सा लिया। सोफिया कुरैशी इस अभ्यास में भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं, जो न केवल उनकी नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गया।
सम्मान और पुरस्कार
अपनी कड़ी मेहनत और सैन्य सेवा के लिए सोफिया कुरैशी को कई बार सम्मानित किया गया है। ऑपरेशन पराक्रम के दौरान पंजाब सीमा पर उनकी भूमिका को लेकर उन्हें विशेष रूप से सराहा गया। साथ ही, बाढ़ राहत अभियान में उनके योगदान के लिए उन्हें Signal Officer-in-Chief के कमेंडेशन कार्ड से भी सम्मानित किया गया।
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