भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद में एक नया मोड़ आया है, जब भारत ने पाकिस्तान द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के बाद चेनाब नदी और किशनगंगा परियोजना से पानी की आपूर्ति रोकने का फैसला लिया। इस कदम को “पड़ोसी देश को एक बूंद भी नहीं देंगे” के संकल्प के तहत उठाया गया है, जिससे दोनों देशों के बीच जलसंसाधन और जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर तनाव और बढ़ सकता है।
बगलिहार बांध से पानी की आपूर्ति पर रोक
शनिवार को भारत ने चेनाब नदी पर स्थित बगलिहार बांध से पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति रोक दी। यह कदम तब उठाया गया जब पाकिस्तान ने सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। भारत ने इस परीक्षण के बाद जलविद्युत परियोजनाओं के माध्यम से पाकिस्तान को जल आपूर्ति में कटौती की योजना को लागू किया। बगलिहार बांध के स्लूइस गेट्स को बंद कर दिया गया और जलाशय की डी-सिल्टिंग प्रक्रिया शुरू की गई, जिससे पाकिस्तान की ओर पानी का बहाव 90% तक कम हो गया।
किशनगंगा परियोजना: एक और बड़ा कदम
इसके बाद, किशनगंगा परियोजना से पानी के बहाव को कम करने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। किशनगंगा परियोजना, जो जम्मू-कश्मीर के उत्तर-पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में स्थित है, अब व्यापक रखरखाव के लिए बंद की जाएगी। इससे पाकिस्तान की ओर पानी का बहाव पूरी तरह से रुक जाएगा, जो भारत के रणनीतिक जल प्रबंधन का हिस्सा है। पाकिस्तान ने इन दोनों परियोजनाओं की डिजाइन पर आपत्ति जताई है, और इसे लेकर विवाद बढ़ने की संभावना है।
सिंधु जल संधि का संकट
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 60 साल पुराने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। इस संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच चेनाब, झेलम और सिंधु नदियों का जल वितरण तय किया गया था। अब भारत ने सिंधु प्रणाली की नदियों से उत्तर भारत में जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय को गृह मंत्रालय के जरिए सूचित किया है कि भारत अपनी जल संसाधन क्षमता का बेहतर उपयोग करने के लिए कदम उठा रहा है।
जलविद्युत परियोजनाओं का महत्व
भारत ने जम्मू-कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाओं पर जोर दिया है। चेनाब नदी और उसकी सहायक नदियों पर चार प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएं पक्कल डुल, किरु, क्वार और रतले बन रही हैं, जिनका कुल उत्पादन क्षमता 3,014 मेगावाट है। इन परियोजनाओं से भारत को प्रति वर्ष 10,541 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न करने की उम्मीद है। पक्कल डुल, किरु और क्वार परियोजनाओं की प्रगति अब तक क्रमशः 66%, 55% और 19% है, जबकि रतले परियोजना पर भी काम जारी है और इसे 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
जल शक्ति और राष्ट्र की सुरक्षा
भारत की जल संसाधन नीति अब राष्ट्र की सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है। जलविद्युत परियोजनाओं के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ, यह भारत को पाकिस्तान के साथ जल विवादों में अपनी स्थिति मजबूत करने का एक और अवसर प्रदान करता है। इन परियोजनाओं के माध्यम से न केवल जल आपूर्ति को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर भी असर पड़ सकता है।
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