भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर 5 मई, 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक अहम बैठक होने जा रही है, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। यह बैठक पाकिस्तान की मांग पर ग्रीस की अध्यक्षता में बंद दरवाजों के पीछे होगी, जहां दोनों देशों को अपनी-अपनी स्थिति रखने का अवसर मिलेगा। इस बैठक को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका असर दोनों देशों के रिश्तों और क्षेत्रीय राजनीति पर क्या होगा।
पाकिस्तान की आपात बैठक की मांग और UNSC का रुख
पाकिस्तान, जो इस समय UNSC का अस्थायी सदस्य है, ने भारत के साथ बढ़ते तनाव को लेकर एक आपात बैठक बुलाने की मांग की थी। इसके बाद ग्रीस ने इस बैठक को आयोजित करने का निर्णय लिया। ग्रीस, जो इस महीने के लिए UNSC का अध्यक्ष है, ने इस बैठक को 5 मई दोपहर में तय किया। इस अवसर पर दोनों पक्षों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा, जिससे वैश्विक समुदाय को दोनों देशों के दृष्टिकोण को समझने का मौका मिलेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का बयान और स्थिति
संयुक्त राष्ट्र में ग्रीस के स्थायी प्रतिनिधि और UNSC के इस महीने के अध्यक्ष, इवेंजेलोस सेकेरिस ने बैठक के बारे में कहा कि “हम आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करते हैं, चाहे वह कहीं भी हो रहा हो।” साथ ही उन्होंने कहा, “हम इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को लेकर बेहद चिंतित हैं।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा परिषद का रुख संतुलित रखने की कोशिश की जाएगी, ताकि तनाव और विवाद को काबू में रखा जा सके।
सुरक्षा परिषद के सदस्य और बंद दरवाजों में विचार-विमर्श
सुरक्षा परिषद के कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन) होते हैं जिन्हें वीटो का अधिकार प्राप्त होता है। बाकी 10 सदस्य अस्थायी होते हैं, जो समय-समय पर चुने जाते हैं। इस बार पाकिस्तान सहित 10 अस्थायी सदस्य देशों में ग्रीस, डेनमार्क, अल्जीरिया, गुयाना, पनामा, दक्षिण कोरिया, स्लोवेनिया, सिएरा लियोन और सोमालिया शामिल हैं।
क्योंकि बैठक बंद दरवाजों में होगी, इस कारण किसी औपचारिक प्रस्ताव या कड़े बयान की उम्मीद कम ही है। फिर भी, यह बैठक दोनों देशों को अपने दृष्टिकोण को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखने का एक अवसर प्रदान करेगी।
भारत और पाकिस्तान के दृष्टिकोण
पाकिस्तान इस बैठक में भारत पर आरोप लगाने की कोशिश करेगा, जबकि भारत आतंकवाद और सीमा पार गतिविधियों का मुद्दा उठा सकता है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को समर्थन देता है और कश्मीर में अशांति पैदा करता है। दूसरी ओर, पाकिस्तान भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन और कश्मीर में संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाता है। यह बैठक इन मुद्दों पर खुली चर्चा का मंच प्रदान करेगी, जिससे दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर वैश्विक दृष्टिकोण सामने आएगा।
वैश्विक समुदाय पर असर
इस बैठक के परिणामों का प्रभाव केवल भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर भी इसका असर हो सकता है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और उनकी स्थितियों का वैश्विक मंच पर प्रस्तुत होना, यह दर्शाता है कि क्षेत्रीय विवादों को हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। यह बैठक एक और बार यह साबित कर सकती है कि वैश्विक मंच पर संवाद और कूटनीति के माध्यम से तनाव को शांत करना संभव है।
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