जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की आग को भड़का दिया है। इस हमले में 26 निर्दोष भारतीय नागरिकों की निर्मम हत्या के बाद भारत ने जहां कठोर रुख अपनाया है, वहीं पाकिस्तान की बौखलाहट स्पष्ट रूप से दिखने लगी है। मिसाइल परीक्षण की बार-बार दी जा रही धमकियाँ, भड़काऊ बयानबाज़ी और अंतरराष्ट्रीय समझौतों को चुनौती देना, इस घबराहट के ही संकेत हैं।
बार-बार मिसाइल परीक्षण का ‘ड्रामा’
पाकिस्तान सेना ने 23 अप्रैल की रात, 26-27 अप्रैल और फिर 2 मई को मिसाइल परीक्षण की सूचना देकर भारत को चेतावनी देने की कोशिश की, लेकिन हर बार केवल दिखावा ही हुआ। न कोई बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई, न कोई परीक्षण किया गया। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये केवल एक ‘साइकोलॉजिकल वॉरफेयर’ का हिस्सा है, जिससे पाकिस्तान अपनी जनता और दुनिया को यह दिखा सके कि वह भारत के खिलाफ तैयार है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।
सिंधु जल समझौते पर भारत का सख्त फैसला
भारत सरकार ने पहलगाम हमले के बाद बड़ा फैसला लेते हुए 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है। यह समझौता अब तक भारत की तरफ से ‘गुडविल जेस्चर’ के रूप में कायम था, लेकिन आतंकी हमलों की निरंतरता ने सरकार को यह कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत को खुलेआम धमकी देते हुए कहा है कि यदि पानी रोका गया, तो ‘हम हमला कर देंगे’। यह बयान साफ तौर पर अंतरराष्ट्रीय मर्यादाओं और कूटनीतिक शिष्टाचार की अवहेलना है।
सोशल मीडिया पर कार्रवाई और सीमा पर तनाव
भारत सरकार ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तानी नेताओं, अभिनेताओं और कट्टरपंथियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया है। सीमा पर भी पाकिस्तान लगातार सीज़फायर का उल्लंघन कर रहा है और गोलीबारी कर रहा है, जिससे भारत के सीमावर्ती गांवों में भय का माहौल बना हुआ है।
क्या कहता है विशेषज्ञ वर्ग?
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना और सरकार अंदरूनी अस्थिरता से जूझ रही है और ऐसे समय में भारत के खिलाफ आक्रामकता दिखाकर वह अपने देश में जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। लेकिन भारत की नई रणनीति और सैन्य तैयारियां साफ संकेत दे रही हैं कि अब ‘सब्र की परीक्षा’ नहीं होगी।
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