प्रयागराज की रहने वाली शक्ति दुबे ने वो कर दिखाया जो लाखों युवा सपने में देखते हैं। पांचवें प्रयास में उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में पहली रैंक हासिल कर सबको चौंका दिया। परिणाम आने से पहले दो-तीन दिनों तक संशय का माहौल बना हुआ था, लेकिन जब रिज़ल्ट आया और सबसे ऊपर उनका नाम देखा, तो खुद शक्ति को विश्वास नहीं हुआ। उन्हें लगा शायद कोई फेक लिस्ट वायरल हो गई है। लेकिन जब कन्फर्म हुआ कि वही रोल नंबर है, तो घरवालों को फोन करके ये खुशी बाँटी गई।
संघर्ष की कहानी: गलतियों से सीखा, लक्ष्य से नज़रें नहीं हटाईं
शक्ति बताती हैं कि पहले चार प्रयासों में असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि मजबूत बनाया। “हर बार की गई गलतियों से मैंने कुछ सीखा और अगली बार उसे ठीक किया। पहले तीन बार प्रिलिम्स में बाहर हो गई। चौथे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंची लेकिन सिर्फ 12 अंक से चूक गई। लेकिन मैंने हार नहीं मानी।”
वह कहती हैं, “एक लक्ष्य तय कर, अपनी रणनीति बदली और इस बार सफलता मेरे कदम चूमी।”
पिता-माता और परिवार का संबल बना प्रेरणा का स्तंभ
नैनी स्थित सोमेश्वर कॉलोनी में रहने वाली शक्ति के माता-पिता — पिता देवेंद्र दुबे और मां प्रेमा देवी — ने हर कदम पर उनकी हौसला अफजाई की। शक्ति बताती हैं कि उनके माता-पिता और भाई-बहनों ने कभी विश्वास नहीं खोया। “वे हमेशा कहते थे कि तुम कर सकती हो। यह विश्वास ही मेरा सबसे बड़ा संबल था।”
कितने घंटे पढ़ती थीं?— ‘घंटों पर नहीं, गुणवत्ता पर भरोसा’
शक्ति कहती हैं कि उन्होंने कभी घंटों की गिनती नहीं की। “कभी 6, कभी 8, कभी 12 घंटे पढ़ा — ज़रूरत और फेज़ के हिसाब से। मुख्य परीक्षा (मेंस) के समय समय और गहराई दोनों बढ़ गई। लेकिन मैंने हमेशा गुणवत्ता और फोकस पर जोर दिया।”
उनके मुताबिक, UPSC के लिए चार चीजें बेहद ज़रूरी हैं:
करेंट अफेयर्स
जनरल स्टडीज़ (GS)
ऑप्शनल विषय
मॉक टेस्ट और प्रैक्टिस
बुकलिस्ट से सीख: सीमित किताबें, बार-बार रिविजन करें
शक्ति मानती हैं कि शुरू में उन्होंने कई रिसोर्स से पढ़ाई की, जो एक गलती साबित हुई। वह अन्य अभ्यर्थियों को सलाह देती हैं — “बुकलिस्ट सीमित रखें और उसका बार-बार रिविजन करें। पुराने प्रश्नों का अभ्यास ज़रूरी है।”
असफलताओं से टूटे नहीं, मजबूत बनें
शक्ति उन छात्रों से खास अपील करती हैं जो असफलताओं से परेशान होकर आत्मघात जैसा कदम उठाते हैं। “एक परीक्षा में असफलता आने से जीवन खत्म नहीं होता। अपने माता-पिता से लगातार संवाद करें। उनका अनुभव और प्यार ही आपको सही रास्ता दिखाएगा।”
भविष्य का सपना: पिछड़े इलाकों की महिलाओं के लिए बनेंगी उम्मीद की किरण
आईएएस टॉपर शक्ति दुबे का सपना है कि वे अब पिछड़े और ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के लिए कुछ बड़ा करें। उनका मानना है कि जब अधिकार हाथ में होते हैं तो जिम्मेदारी भी आती है — और वे इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार हैं।
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